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बालक कैसे चिंतन करते हैं ? चिंतन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं 

चिंतन क्या है? सोचना अथवा चिंतन एक उच्च प्रकार की ज्ञानात्मक प्रक्रिया है, बालक कैसे चिंतन करते हैं या  बच्चे…

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पर्यावरण शिक्षण क्या है ? पर्यावरण शिक्षण के कुछ महत्वपूर्ण तत्व | Pariyawaran Shikshan kya hai

पर्यावरण शिक्षण क्या है? पर्यावरण शिक्षण के कुछ महत्वपूर्ण तत्व | Pariyawaran Shikshan kya hai पर्यावरण शिक्षण क्या है ?…

Child Development and Pedagogy meaning in Hindi | child development and pedagogy notes pdf

Child Development and Pedagogy meaning in Hindi

आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं कि बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के बारे में जिसे आप इंग्लिश में Child Development and Pedagogy Notes in 2025 आज हम बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के बारे में संपूर्ण जानकारियां देंगे साथ में कुछ क्वेश्चन आंसर भी कराएंगे इस चैप्टर से आप टीचर के लिए जितने भी एग्जाम होते हैं वह सभी एग्जाम में आपके लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होने वाला है जैसे कि CTET UPTET MPTET, UPTET, HTET, REET etc एग्जाम ओं के लिए बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।

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Child development and pedagogy notes in Hindi

बाल विकास की प्रक्रिया से संबंधित अधिगम एवं कौशल होता है।
शिक्षा मनोवैज्ञानिक आवश्यक है शिक्षक एवं अभिभावकों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।
शिक्षा मनोविज्ञान का प्रमुख संबंध सारे एवं टोलफोर्ड से हैं। जो एक मनोवैज्ञानिक थे।

Child Development and Pedagogy meaning in Hindi

बाल विकास के सिद्धांत ( Principal of child development )

बाल विकास के सिद्धांत के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिया गया है। जो नीचे विस्तार से बताया गया है जिसे आप पढ़ कर एग्जाम में सही सही आंसर बना सकते हैं।

समान प्रतिमान का सिद्धांत (Principal of similar pattern )

-समान प्रतिमान के सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक जाति अपने जाति के अनुरूप विकास के लिए प्रतिमान का अनुसरण करती है जैसे कि मानव, हाथी

विकास की दशा का सिद्धांत (principal of direction in Hindi )

विकास की दिशा सिर से पैर की तरफ चलती है। जब हमारी विकास की दिशा सिर से पैर की तरफ होती है तो उसमें Cephalocaudal वे कहते हैं। दूसरी तरफ जब हमारी विकास की करामात से शुरू होकर बाहर की तरफ होता है। तो हम उसे दूर विमुख कहते हैं जिसमें यह कह सकते हैं कि विकास एक प्रकार से क्रमिक होता है।

निरंतरता का सिद्धांत ( what is principle of continuity in Hindi )

विकास कभी ना रुकने वाली एक ऐसी प्रतिक्रिया है। जो जीवन पर्यंत चलते रहता है। यह केवल मंद और तेज होती है। जिसमें मां के गर्भ से मृत्यु तक विकास की प्रक्रिया चलती है।

सामान्य से विशिष्ट क्रियाओं का सिद्धांत (what is principal of general to specific response)

सम्मान से विशिष्ट क्रियाओं के सिद्धांत में विकास सदैव सम्मान से विशिष्ट क्रियाओं की ओर चलता है। ना कि विशिष्ट से सम्मान किया और विकास चलता है। जैसे कि उठना, बैठना, चलना, दौड़ना

पूर्वानुमान का सिद्धांत (what is principle of predictability in Hindi )

पूर्वानुमान का सिद्धांत विकास को पूर्व अनुमान होता है। क्योंकि इसमें पहले ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि विकास किस दिशा में जाया जाएगा। यह आप किस दिशा में विकास की दिशा ज्यादा होगी। या विकास की क्षेत्र किस तरह से बढ़ रहा है। यह पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है।

एकीकरण का सिद्धांत (define of principal of unitary process in Hindi )

बच्चों में एकीकरण का सिद्धांत या बच्चों में एकीकरण का गुण पाया जाता है। जिसमें हम किसी एक काम को करने के लिए हाथ और पैर दोनों को एक साथ मिलाकर कर सकते हैं।  जिसे एकीकरण का सिद्धांत कहलाता है।

व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धांत (Principal of individual difference meaning in Hindi)

बच्चों का विकास व्यक्तिगत भिन्नता के अनुसार चलता है। लेकिन किसी में विकास की गति बहुत तेज होती है। तो किसी में विकास की गति बहुत कम होती है। जिसके कुछ महत्वपूर्ण बिंदु नीचे दिया गया है।

  • बच्चों में विकास Individual Difference Heredity and Environment पारस्परिक ता पर निर्भर करता है। इन्हीं दोनों में से इंडिविजुअल डिफरेंस होते हैं।
  • हमारी motivation intelligence interest etc अलग-अलग प्रकार से होती है।

वर्तुल आकार बनाम रेखीय का प्रगति का सिद्धांत विकास कभी भी सीधी रेखा पर नहीं चलता है।   मतलब यह है। कि विकास कभी सीधी रेखा और नहीं चलती है। वह कभी धीमी गति से चलता है। तो विकास कभी तीज गति से चलता है। कहना मुश्किल है। कि विकास किस प्रकार होता है।

अंतर संबंधित विकास का सिद्धांत(what is principal of inter development)

 

बच्चे कैसे सीखते है ? चिंतन का मतलब क्या होता है?

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वाइगोत्सकी का सामाजिक सिद्धांत | Lev Vygotsky Theory of Cognitive Development in Hindi pdf

वाइगोत्सकी का सामाजिक सिद्धांत | Lev Vygotsky Theory of Cognitive Development in Hindi pdf

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vygotsky theory of cognitive development in hindi pdf : Lev Vygotsky एक रूसी मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत का प्रतिपादन किए थे उन्होंने यह बताया था कि बच्चे अपने समाज संस्कृति से अंतः क्रिया करके सकता है कहने का मतलब यह है कि बच्चा समाज से अंतः क्रिया के बाद विकास होता है जबकि पियाजे साहब यह मानते हैं कि पहले विकास होता है बाद में अधिगम होता है।

Lev Vyotsky Full Detail in Hindi

जन्म १९ नवम्बर १८९६
ओरशा, रूसी साम्राज्य, अब यह बेलारुस है।
मृत्युजून 11, 1934 (उम्र 37)
मॉस्को, सोवियत संघ
क्षेत्रमनोविज्ञान
शिक्षामास्को विश्वविद्यालय.
Shaniavskii Moscow City People’s University
उल्लेखनीय शिष्यAlexander Luria
प्रसिद्धिCultural-historical psychology, Zone of proximal development
प्रभावWilhelm von Humboldt, Alexander Potebnia, Alfred Adler, Kurt Koffka, Kurt Lewin, Max Wertheimer, Wolfgang Köhler, Kurt Goldstein
प्रभावितVygotsky Circle, Evald Ilyenkov, Jean Piaget, Urie Bronfenbrenner

Lev Vygotsky Theory ने सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत दिए थे जिनमें की निकट विकास का क्षेत्र के नाम से भी जानते हैं जिसे इंग्लिश में ZPD कहते हैं

ZPD ka Full Form in Hindi

Zone of Proximal Development

विकास की अवधारणा PDF : विकास की अवधारणा अधिगम के साथ उसका संबंध

Lev Vygotsky Theory in Hindi

लेव वाइगोत्सकी का सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत क्या है

ले वाइगोत्सकी साहब एक रचनात्मक विचारधारा वाले मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक सिद्धांतों के अनुसार छात्रों का संज्ञानात्मक विकास का परिभाषा प्रदान किए वाइगोत्सकी साहब ने संज्ञानात्मक विकास के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक को आधार मानते हैं वहीं पर जीन पियाजे साहब ने संज्ञानात्मक विकास में उम्र को आधार मानते हैं।

वाइगोत्सकी के अनुसार बालक समाज और संस्कृति से अनुकरण करके सीखता है साथ ही साथ बालक अपने समाज में अंतर क्रिया करके अपना विकास करता है वाइगोत्सकी साहब ने अपने सिद्धांत को समाज को केंद्र मानकर प्रतिपादन किए हैं।

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वाइगोत्सकी साहब (Vigotsky Theory of Cognitive development) ने बालक के संज्ञानात्मक विकास में सामाजिक अंतः क्रिया भाषा संस्कृति को मुख्य मानते हुए संज्ञानात्मक विकास (cognitive development Vigotsky) के तीन तत्व प्रदान किए हैं जिनका व्याख्या नीचे दिया गया है।

पर्यावरण शिक्षण क्या है ? पर्यावरण शिक्षण के कुछ महत्वपूर्ण तत्व | Pariyawaran Shikshan kya hai

समाजिक अंतः क्रिया(social interaction) : वाइगोत्सकी के अनुसार बालक अपने समाज का अनुकरण करके सीखता है।

भाषा :-  वाइगोत्सकी साहब ने बालक के लिए भाषा को एक उपकरण मानते हैं जिनके सहायता से बालक समाज संस्कृति से अंतः क्रिया करके कार्य करता है अगर भाषा नहीं जानता है तो व्यक्ति संज्ञानात्मक विकास नहीं कर पाएगा।

संस्कृति(culture) : वाइगोत्सकी के सिद्धांत के अनुसार संस्कृति का एक महत्वपूर्ण योगदान है जोकि बालक समाज में नैतिक मूल्यों का विकास करता है।

Lev Vygotsky Theory of Concept

ZPD Full Form

Zone of Proximal Development : समीपस्थ या निकट विकास का क्षेत्र : वास्तविक विकास के स्तर और संभावित विकास के अस्तर के बीच के अंतर क्रिया को समीपस्थ विकास का क्षेत्र कहा जाता है।

बालक कैसे चिंतन करते हैं ? चिंतन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं 

बच्चों के सीखने का एक निकटतम क्षेत्र होता है जिसमें बच्चा एक ऐसा कार्य दिया जाता है जिससे वह वर्तमान स्तर (present time) से थोड़ा अधिक मुश्किल हो जाता है तो वह बेहतर जूते और सीखते हैं।

पाड़ या ढांचा Scaffolding: बच्चों को शिक्षक के द्वारा सहायता प्रदान करने को ही ढांचा कहते हैं। जिससे बालक उस काम को आसानी पूर्वक कर पाता है।

विकास की अवधारणा PDF : विकास की अवधारणा अधिगम के साथ उसका संबंध

वाइगोत्सकी साहब के भाषा पर विचार (Vygotsky Theory Feature)

  • वाइगोत्सकी के अनुसार भाषा और चिंतन शुरू में अलग-अलग होते हैं बाद में
  • वाइगोत्सकी के अनुसार बालक मे भाषा और विकास एक साथ हो जाते हैं।
  • वाइगोत्सकी ने कहा की भाषा पहले आता है विचार बाद में।
  • भाषा संज्ञानात्मक विकास को सुगम बनाता है।
  • वाइगोत्सकी ने बालक के संज्ञानात्मक विकास के लिए समाज और संस्कृति को महत्वपूर्ण योगदान देते हुए महत्वपूर्ण स्थान पता किया
  • वाइगोत्सकी सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत के अनुसार विकास के लिए पहले अधिगम होना जरूरी है।
  • सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत के अनुसार बालक में संज्ञानात्मक विकास के लिए सामाजिक अंतः क्रिया भाषा और संस्कृति को महत्वपूर्ण मानते हैं वाइगोत्सकी साहब
  • वाइगोत्सकी साहब ने भाषा पर अत्यधिक बल दिया हैं।
  • वाइगोत्सकी के अनुसार बच्चा अपने ज्ञान का सृजन करता है।

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इन्हे भी जाने 

Child Development and Pedagogy in hindi -बच्चा एक वैज्ञानिक के रूप में

Child Development and Pedagogy in hindi

Child Development and Pedagogy in hindi  :बच्चा एक वैज्ञानिक एवं समस्या समाधान कर्ता के रूप मे –

बच्चा एक वैज्ञानिक के रूप में महान वैज्ञानिक जीन पियाजे ने बच्चे को एक नन्हा वैज्ञानिक कहा है जो अपने ज्ञान का निर्माण खुद करता है

         यह बात यहां ध्यान देने योग्य है कि यदि खुद पैसे से एक जंतु  वैज्ञानिक थे इसलिए इनके कथन को गंभीरता से ले जाने की जरूरत है। 

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समावेशी शिक्षा का अर्थ – परिभाषा , अवधारणा, विशेषताएं -inclusive education in hindi

निम्नलिखित बिंदुओं की सहायता से हम सिद्ध कर सकते हैं बच्चा एक वैज्ञानिक अन्वेषक है।

  • मौलिकता ( Spontaneity ) किसी की नकल न मारकर खुद की कोई नई रचना ही मौलिकता है और मौलिकता के बगैर कोई भी वैज्ञानिक नहीं बन सकता है बच्चे द्वारा अपने नोट बुक पर खींची गई टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं भले ही निरर्थक नजर आती हो लेकिन बालक इनको खींचने के लिए कहीं से नकल नहीं मारी है। इसीलिए यह बालक ने मौलिकता का लक्षण है जो उसे वैज्ञानिक बनाता है। 

बच्चे स्कूल में असफल क्यों होता है ?

  • जिज्ञासा ( Curiosity ) –जिज्ञासा किसी भी अविष्कार की  पहली सीढ़ी  होती है तथा बालक स्वभाव से ही जिज्ञासु होते हैं इसलिए क्यों और कैसे पर आधारित अनेकों प्रश्न पूछे जाते हैं। मक्कडुगल  ने जिज्ञासा को एक मूल प्रवृत्ति  माना है जो जन्मजात होती है। इसीलिए बालक एक वैज्ञानिक जन्मजात है । 

बालक कैसे चिंतन करते हैं ? चिंतन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं 

  • सृजनात्मकता ( Creativity )  – किसी भी वैज्ञानिक का सबसे बड़ा गुण है और बालक द्वारा रद्दी वस्तुओं से खिलौने बनाना मिट्टी एवं रेत के घर बनाना, या फेंके गए मिठाई या अन्य वस्तुओं के डिब्बों से कुछ नया बनाना ही सृजनात्मकता उदाहरण है। मक्कडुगल–  सृजनात्मकता को एक मूल प्रवृत्ति माना है जो बालक के जन्म से ही मौजूद है इसीलिए पालक एक वैज्ञानिक है। 
  • क्रिया एवं प्रयोग कोई भी बिना प्रयोग किए बिना वैज्ञानिक नहीं बन सकता है तथा बच्चा भी कथनों की सत्यता जानने के लिए क्रिया एवं प्रयोग द्वारा सत्यता जानता हो।  जैसे कि पापा के मना करने पर भी उनका मोबाइल फोन पानी में डालकर यह पता लगाना के पानी में फोन की स्क्रीन खराब हो जाता है।

बच्चे कैसे सीखते है ? चिंतन का मतलब क्या होता है?

                          यहां पर प्रयोग करके सीखने वाला वाला एक वैज्ञानिक माना जाएगा

  • खतरा मोल लेना – बिना खतरा उठाएं, कोई भी वैज्ञानिक नहीं बन सकता है।  क्योंकि जरूरी नहीं है कि व्यक्ति को पहली ही बार में सफलता प्राप्त हो जाए। 

जैसे कि एक बालक का साइकिल सीखने के दौरान कई बार गिर जाने, चोट आने तथा खून बढ़ने के बावजूद भी खतरा मोल लेकर साइकिल चलाना सीखना एक वैज्ञानिक गुण है जो उसे वैज्ञानिक बनाता है। 

समावेशी शिक्षा का अर्थ – परिभाषा , अवधारणा, विशेषताएं -inclusive education in hindi

  • कुछ नया करने की कोशिश – वैज्ञानिक बनने के लिए हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करना जरूरी है तथा एक बालक खिलौना टूट जाए तो इसके कल पुर्जों को आपस में जोड़ने की कोशिश करता है जो उसे वैज्ञानिक बना देती है।

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बालक कैसे चिंतन करते हैं ? चिंतन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं 

चिंतन क्या है? सोचना अथवा चिंतन एक उच्च प्रकार की ज्ञानात्मक प्रक्रिया है,

बालक कैसे चिंतन करते हैं

या

 बच्चे चिंतन कैसे करता है? 

चिंतन एक ऐसी क्षमता है जो प्रकृति ने सिर्फ मानव को दी है तथा चिंतन वास्तव में एक जटिल प्रक्रिया है। 

                                                        आज हम इस भाग में इस बिंदु पर चर्चा करेंगे कि लोग चिंतन कैसे करते हैं। 

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चिंतन क्या है

 अर्थ-  चिंतन एक मानसिक प्रक्रिया है जो किसी समस्या का समाधान ढूंढने में सहायक होता है। 

चिंतन की विशेषताएं 

  • चिंतन की शुरुआत हमेशा समस्या से होती है। 
  • चिंतन एक लक्ष्य मुखी प्रक्रिया है। 
  • चिंतन का लक्ष्य हमेशा समस्या समाधान होता है। 
  • चिंतन एक मानसिक प्रक्रिया है। 
  • चिंतन एक चेतन प्रक्रिया है। 
  • चिंतन एक तार्किक प्रक्रिया है। 
  • चिंतन कल्पना से अलग है क्योंकि  चिंतन में तर्क है जो कल्पना में नहीं है। 
  • चिंतन में कोई न कोई मुद्दा या विचार जरूर शामिल होता है। 
  • चिंतन के लिए समस्या की पूरी जानकारियां या संज्ञान प्रत्यक्षीकरण आवश्यक है। 

चिंतन के तत्व

चिंतन के लिए निम्नलिखित तत्वों का होना जरूरी है। 

  • प्रत्यक्षीकरण 
  • वस्तुएं
  •  चिन्ह
  • विचार या मुद्दा
  • भाषा

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चिंतन के प्रकार

1. अभिसारी चिंतन (Convergent Thinking) :- जो शुरुआत अनेक बिंदुओं से हो लेकिन अंत सिर्फ एक बिंदु से हो जैसे कि- बहुविकल्पीय प्रश्न

 अभिसारी चिंतन के कुछ अलग अलग नामों से जाना जाता है जो नीचे दिया गया है 

  •  पारंपारिक चिंतन
  •  रूढ़िवादी चिंतन
  •  दकिया लूसी चिंतन
  •  एक दिवसीय चिंतन 
  • लंबवत चिंतन 
  • इन द बॉक्स चिंतन

2. आपसारी चिंतन ( Divergent Thinking ) :- जब शुरुआत एक बिंदु से हो लेकिन अंत अनेक बिंदुओं से हो तो उसे अप्सरी चिंतन कहते हैं। जैसे- खुले अंत वाले या निबंधात्मक

  • वैज्ञानिक चिंतन
  • सृजनात्मक चिंतन
  • पार्श्विक चिंतन
  • बहुत दिवसीय / बहुविध चिंतन 
  • आउट ऑफ द बॉक्स चिंतन

3. तार्किक चिंतन :- जब किसी  कथन को तर्क के सहारे सही सिद्ध किया जाए या तर्कों के सहारे उसके सत्यता के वैधता सिद्ध की जाए तो उसे तार्किक चिंतन कहते हैं। जैसे – त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180 डिग्री होता है  यह कथन का उदाहरण है। 

4. मूर्त चिंतन :– जब चिंतन वस्तु या पटना के सामने होने पर ही संभव हो या उससे पहले  देखा गया हो ऐसे चिंतन को मूर्ख चिंतन कहा जाता है जैसे कि 1 बच्चों का पशुओं पक्षी पर आधारित प्रश्नों का चिंतन चिंतन का उदाहरण है। 

5. अमूर्त चिंतन : अगर तर्कों के सारे उस घटना या परिस्थिति को भी सिद्ध कर लिया जाए जो दिखाई नहीं पड़ती हो उसे अमूर्त चिंतन कहा जाता है। जैसे न्यूटन द्वारा दिया गया गुरुत्वाकर्षण का नियम

 सृजनात्मकता / सृजनात्मक चिंतन

सृजनात्मक चिंतन के तत्व

गिलफोर्ड एवं टॉरेंस आदि मनोवैज्ञानिकों ने सृजनात्मक चिंतन के निम्नलिखित चार तत्व माने है। 

  • धाराप्रवाह : बिना रुके नए-नए विचार बनाने की क्षमता है
  • लचीलापन :  किसी भी परिस्थिति मैं नवीन तरीके से समायोजित होना. 
  •  मौलिकता : इसे भी नकल ना करना खुद का नया विचार देना
  •  व्याख्या / विस्तारन :  किसी विषय वस्तु पर अश्मित व्याख्या देना। 

 सृजनात्मक चिंतन के चरण 

ग्राहम वल्स ने सृजनात्मक चिंतन के निम्नलिखित चार चरण बताए है। 

  • तैयारी (Preparation) – एक नवीन चिंतन की शुरुआत
  • उद्भवन/सुप्तावस्था (incubation)चिंतन की वह अवस्था जहां व्यक्ति तमाम संभावनाओं पर विचार करता है लेकिन निष्कर्ष  तक नहीं जाता है। 
  • प्रकाशन/उद्भासन (Illumination)अचानक ही कुछ नया अविष्कार या नया सिद्धांत बना देना।  
  • सत्यापन/मूल्यांकन (Verification)यह पता करना की बनाई गई नवीन वस्तू या सिद्धांत के अनुसार कार्य करता है या नहीं । 

बच्चों में चिंतन बढ़ावा कैसे दें 

  • बच्चों को रट्टा मारने पर जोड़ना  ना दे
  • बालक से तुरंत पूर्णता की उम्मीद ना रखे
  • बालक को  खुद से समस्या को सुलझाने के लिए कहें
  • अगर बालक कुछ नया कर रहा है तो उसे करने दे ना कि विरोध करें
  • विद्यालय में सिर्फ अच्छे अंक पर ही नहीं समझ पर भी जोड़ दें।

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बालकों में चिंतन एवं अधिगम

चिंतन के विभिन्न साधन

चिंतन कौशल

बच्चों का डर कैसे दूर करें

चिंतन की प्रक्रिया

पैनिक अटैक किसे कहते हैं

बच्चों के लिवर में इन्फेक्शन

चिंता परिभाषा और लक्षण

 

मुख्यमंत्री होमस्टे/बेड एंड ब्रेकफास्ट प्रोत्साहन योजना 2024 -Home Stay bed and Breakfast Protsahan Yojana

Mukhymantri Home Stay bed and Breakfast Protsahan Yojana

Home Stay bed and Breakfast Protsahan Yojan :दोस्तों अगर आप बिहार के निवासी हैं और आपके घर के आस-पास बढ़िया पर्यटन स्थल स्थित है तो आप घर बैठे लाखों की कमाई कर सकते हैं दरअसल में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री होम स्टे बेड एंड ब्रेकफास्ट प्रोत्साहन योजना लेकर आए हैं जिसके तहत आपको आए हुए पर्यटकों को ठहरने के बदले में अच्छी पैसे वसूल सकते हैं। Home Stay bed and Breakfast Protsahan Yojan को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 6 अगस्त से सुचारू रूप से चालू कर रहे हैं इस योजना कहते हैं 15 जिलों के 28 पर्यटन स्थल शामिल किया गया है जिसमें की नालंदा गया कैमर नवादा रोहतास पूर्वी चंपारण पश्चिमी चंपारण एवं जमुई जिले शामिल हैं।

Home Stay bed and Breakfast Protsahan Yojan

मुख्यमंत्री होम स्टे बेड एंड ब्रेकफास्ट प्रोत्साहन योजना 2024 क्या है?

Home Stay bed and Breakfast Protsahan Yojan के तहत आपको अपने घर की मरम्मत के लिए सरकार द्वारा ढाई लाख रुपए के लोन राशि प्रदान करते हैं जिसमें की आपको ब्याज मुक्त होता है यह लोन उन लोगों को मिलेगा जो अपने कमरों को नवीनीकरण करेंगे इस लोन के तहत आपको 5 साल तक की छूट मिलेगी तथा इस योजना में आप एक समय में 6 कमरे को ही किराए पर दे सकते हैं अगर आप इस योजना के तहत कंपनी को अपना रूम देते हैं तो वह इसे चलाएंगे अगर आप खुद चलाने के लिए सक्षम है तो आप खुद भी चला सकते हैं। इस योजना के तहत अगर आपका रूम तभी आप इस रूम को किराए पर लगा सकते हैं अगर आप सारी इलाके से है तो आपके रूम की डेर 10 किलोमीटर तक ही सीमित है।

बिहार के पर्यटन निदेशक के विनय कुमार ने बोले हैं कि अगर आपके पास एक से ज्यादा कमर है तो आप इस योजना के लिए Home Stay bed and Breakfast Protsahan Yojan online Apply की प्रक्रिया से गुजर सकते हैं इस योजना के तहत सरकार को पहले चरण में 1000 कमरा तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है तथा बिहार पर्यटक निदेशक विनय कुमार ने यह भी बताया है कि यह योजना ऑनलाइन आवेदन घोषणा कर दिया गया है जिसे एक प्रारूप प्रदान किया जाना है जिसमें कि आपके कमरे के आकार और सुविधा नियम के बारे में जानकारी देना है। तो दोस्तों इस योजना के तहत आपको पहले चरण में ढाई लाख रुपया प्रति कमरे तक का ऋण मिल सकता है।

पर्यटन विभाग का मकसद क्या है?

पर्यटन विभाग का कहना है कि मुख्यमंत्री होम स्टे बेड एंड ब्रेकफास्ट परसों योजना कामाख्या केवल राजकीय होटल ऑन के बोझ कम करना बल्कि बिहार के पर्यावरण और ग्रामीण पर्यटन को भी आगे ले जाना है इस योजना के तहत स्थानीय लोगों की आय की वृद्धि में भी इजाफा होगा।

किन पर्यटकों स्थल पर इस योजना को लागू किया जाएगा

  • गया: विष्णुपद मंदिर महाबोधि मंदिर मुंडेश्वरी मंदिर प्रेतशिला चट्टान गुरुप स्तूप
  • नालंदा: राजगीर चिड़ियाघर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर प्राकृतिक सफारी जल मंदिर.
  • पूर्वी चंपारण: केसरिया बुद्ध स्तूप
  • पश्चिमचंपारण: भितिहरवा आश्रम , वाल्मीकि टाइगर रिजर्व।
  • भागलपुर: प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहर
  • मुंगेर: भीम बांध
  • जमुई: जैन मंदिर
  • नवादा: ककोलत झरना
  • जहानाबाद: किसी साड़ी की बराबर गुफाएं
  • रोहतास :शेरशाह सूरी की मकबरा

Home Stay bed and Breakfast Protsahan Yojan की पात्रता

  • इस योजना के तहत मकान मालिक को जिनको निजी उपयोग के पश्चात एक कमरा या अधिकतम 6 कैमरा होगा हुए कम से कम दो बेड या 12 बेड की सुविधा
  • उपलब्ध करवा सकते हैं।
  • आप अपने कमरे की साफ सुथरा और प्रकाश में बनाकर रखना होगा
  • कमरे की मूलभूत सुविधाओं को लेकर सजग रहना होगा।
  • समय-समय पर नियम शर्त बदलतेरहेंगे।

मुख्यमंत्री होमस्टे/बेड एंड ब्रेकफास्ट प्रोत्साहन योजना

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बच्चे कैसे सीखते है ? चिंतन का मतलब क्या होता है?

बच्चे कैसे सीखते है?

अधिगम एक जटिल प्रक्रिया है तथा इसमें व्यक्तिक विविधता पाई जाती है जिसका अर्थ होता है कि लोगों के सीखने के तरीके एवं सीखने के क्षेत्रों एवं सीखने की दर में अंतर पाया जा सकता है। 

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                                  आज हम इस बार में यह जानने का प्रयास करेंगे कि बच्चे किस तरह से सीखते हैं वैसे उनके सीखने की कई तरीके होते हैं फिर भी हम कुछ प्रमुख तरीके पर विचार करेंगे। 

बच्चों के सीखने के प्रमुख तरीके 

  • अनुकरण द्वारा: – कोई बच्चे अनुकरण द्वारा भी सीखते हैं और वास्तव में अगर देखा जाए तो शुरुआत में आदतें संस्कार गिनती पहाड़े वर्णमाला आदि सभी बच्चे अनुकरण द्वारा ही सीखते हैं। 
  •  इंद्रियों द्वारा :-  हम सब स्वाद, रंग, सुगंध आदि वास्तव में इंद्रियों द्वारा ही सीखते हैं अर्थात इंद्रियों द्वारा सीखना भी सीखने का एक प्रमुख तरीका है। 
  • खेलों द्वारा :- खेलों को NCF-2005 में शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग माना गया है। क्योंकि एक बालक खेलों के द्वारा रणनीति निर्माण, समूह बनाना तथा निर्णय लेना जैसे प्रमुख गुण सीखते हैं। आर्थत हम खेल से भी सीखते हैं। 
  • अनुकरण द्वारा :- बच्चे अनुभव द्वारा भी सीखते हैं जैसे बालक उस व्यक्ति से दूर रहता है क्योंकि वह हमेशा उसे डांटता रहता है। 
  • करके सीखना गतिविधियों द्वारा सीखना :-  कोई भी व्यक्ति कौशलों के द्वारा किताबी ज्ञान द्वारा नहीं सीख सकता है इन्हें करके या गतिविधियों द्वारा ही सीखा जा सकता है जैसे – साइकिल चलाना
  • त्रुटियों द्वारा :-  कोई भी बालक गिनती, पहाड़े, वर्णमाला एक ही बार में नहीं सीख लेता है हम सब से गलतियां होती है और हम सभी गलतियां करके ही सीखते हैं क्योंकि गलतियां अधिगम का हिस्सा है।
  • सूझ द्वारा : किसी बच्चे द्वारा अचानक ही मौजूद विकल्पों में से सही विकल्प का चयन करके किसी समस्या का समाधान कर लेना सुच कहलाता है जैसे कि एक बालक का घर की अलमारी के ऊपर रखा -डब्बाथोड़ी देर सोचकर अचानक कुर्सी और एक स्टूल रख कर  प्राप्त कर लेना। 
  •  अभ्यास द्वारा सीखना :-  हुए भी कौशल्या अधिगम तब तक स्थाई नहीं रहता है जब तक इसे अभ्यास में ना रखा जाए अधिगम अभ्यास का परिणाम होता है अतः हम अभ्यास द्वारा सीखते हैं।  

पूर्व ज्ञान से जोड़कर या अनुबंध द्वारा :- इस विधि के अनुसार बालक कुछ भी नया सीखने के लिए इसे अपने पूर्व ज्ञान से जोड़ कर सकता है जैसे एक बालक द्वारा वर्ण आ सीखने के लिए पूर्व परिचित आम के चिन्ह का सहारा लेना होता है जो कि बालक का पूर्व ज्ञान है जबकि अक्षरा आ नवीन ज्ञान है।

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Bihar DElED Face to Face Result 2024 Direct Link : यहाँ देंखे DElED 1st Year Result और DElED 2nd Year Result

Bihar DElED Face to Face Result 2024 Direct Link

Bihar DElED Face to Face Result 2024 Direct Link : बीएसईबी द्वारा बिहार डीएलएड का एग्जामिनेशन 2024 में हुआ था जिसका रिजल्ट भी जारी किया जाना है तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको बिहार डीएलएड फेस टू फेस रिजल्ट 2024 (Bihar dled face to face exam result 2024)के बारे में बताने जा रहे हैं। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा बिहार डीएलएड के ऑफिसियल वेबसाइट या बिहार विद्यालय के ऑफिसियल वेबसाइट पर जारी किया जाएगा जो भी अभ्यर्थी बिहार डीएलएड 1st year and 2nd year एग्जाम दिए हैं

bihar deled face to face result 2024 link

वह अपना रिजल्ट बहुत जल्द चेक कर पाएंगे। जो भी बिहार डीएलएड के अभ्यर्थी फेस टू फेस एग्जाम दिए हैं प्रथम वर्ष एवं द्वितीय वर्ष में जो भी अभ्यर्थी सम्मिलित हुए थे वह अपना रिजल्ट (Bihar dled examination result link)को लेकर लंबे समय के अंतराल में इंतजार कर रहे हैं उन सभी के लिए बहुत बड़ी जानकारी सामने आई है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा बहुत जल्द ही बिहार डीएलएड फेस टू फेस रिजल्ट 2024 (Bihar dled face to face result 2024 direct link)जारी किया जाएगा तो दोस्तों आप सभी अपना प्रवेश पत्र पर अंकित यूजर आईडी और पासवर्ड के द्वारा Bihar dled face to face result 2024 चेक कर पाएंगे।

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शिक्षण विधि के प्रकार और परिभाषाएं | शिक्षण विधि की विशेषताएं -Shikshan vidhi ke prakar

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Bihar Deled 1st Year Result 2024 Check 3rd week of September 2024
Bihar Deled 2nd Year Result 2024 Check 
3rd week of September 2024
Official Website secondary.biharboardonline.com
bihar deled face to face result 2024 pdf download : बिहार राज्य के लगभग 80000 अभ्यर्थियों ने बिहार डीएलएड प्रशिक्षण शास्त्र 2023-25 और द्वितीय वर्ष 2022-24 मैं परीक्षा में सम्मिलित अभ्यर्थी बिहार डीएलएड फेस टू फेस परीक्षा 2024 का रिजल्ट चेक (BRD face to face exam result 2024) करने के लिए बहुत लंबे दिनों से इंतजार कर रहे हैं तो यह पोस्ट आपके लिए खास है। -bihar deled face to face result 2024 pdf download
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बिहार डीएलएड परीक्षा समिति के द्वारा Bihar dled face to face exam result 2024 ka result बहुत जल्द जारी किया जाएगा इसकी विस्तृत जानकारी के लिए नीचे आप पूरी पोस्ट को ध्यानपूर्वक पड़ेंगे तभी आप जान पाएंगे कि कैसे बिहार डीएलएड फेस टू फेस एग्जाम का रिजल्ट चेक कर पाएंगे।

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बिहार डीएलएड फेस टू फेस एग्जाम 2024 का रिजल्ट कैसे चेक करना है।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना के द्वारा प्रथम वर्ष (2023-25)और द्वितीय वर्ष(2022-24) के लिए बिहार के सभी जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे जिन पर परीक्षा संपन्न हुए हैं उनकी गोपियों का जांच 1 जुलाई से 9 जुलाई तक पूरी कर ली गई थी लेकिन रिजल्ट में देरी किया गया है और वह रिजल्ट इसी महीने बिहार डीएलएड के ऑफिसियल वेबसाइट पर जारी किया जाएगा।

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Bihar DElED Face to Face Result 2024 Direct Link

Bihar dled face to face result 2024 का रिजल्ट चेक करने के लिए नीचे स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस बताया गया है जैसे ही रिजल्ट आएगा तो आप इन्वेस्ट स्टेप को फॉलो करके अपना रिजल्ट चेक कर पाएंगे।

तो दोस्तों सबसे पहले बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के ऑफिसियल वेबसाइट पर Visit  करना है या फिर गूगल में सर्च करें बिहार डीएलएड एग्जामिनेशन रिजल्ट 2024

अब आपके सामने बिहार विद्यालय के ऑफिसियल वेबसाइट खुल कर आएगा जिस पर क्लिक करना है।

अब आप वहां पर रिजल्ट वाले ऑप्शन पर क्लिक करें इसके बाद आपको अपने एडमिट कार्ड से रोल नंबर और रोल कोड डालकर कैप्चा फुल करें।

जैसे ही रोल नंबर रोल कोड और कैप्चा फाइल करेंगे उसके बाद गेट रिजल्ट पर क्लिक करना है।

जब आप गेट रिजल्ट पर क्लिक करते हैं तो आपके सामने आपका रिजल्ट कार्ड खुलकर आ जाएगा तो जिसे आप प्रिंट आउट करके रख लेना है।

इस तरह से दोस्त आप अपना बिहार डीएलएड फेस टू फेस एग्जाम रिजल्ट 2024 का रिजल्ट चेक कर पाएंगे तो अगर आप जॉब वेकेंसी एडमिट कार्ड रिजल्ट इत्यादि के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हमारे टेलीग्राम या व्हाट्सएप ग्रुप पर ज्वाइन हो जाए जो आपको समय-समय पर आप तक यह जानकारियां दिया जाएगा।

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पर्यावरण शिक्षण क्या है ? पर्यावरण शिक्षण के कुछ महत्वपूर्ण तत्व | Pariyawaran Shikshan kya hai

पर्यावरण शिक्षण क्या है? पर्यावरण शिक्षण के कुछ महत्वपूर्ण तत्व | Pariyawaran Shikshan kya hai

पर्यावरण शिक्षण क्या है ?

Pariyawaran Shikshan kya hai

  • पर्यावरण हिंदी  परिप्रेक्ष्य  के 2 शब्दों परि और आवरण से बना है।  जिसका क्रमशः अर्थ चारों ओर घेरना होता है इस आधार पर हम कह सकते हैं कि जीव का जो चारों ओर से घिरे हुए हैं वह उसका पर्यावरण कहलाता है।
  • पर्यावरण की इंग्लिश Environment है। जो French भाषा से बना है।  जिसका अर्थ पास पड़ोस होता है ।
  • जीव का पाई जानी वाली सभी वस्तुओ जो उसे प्रभावित करती है।

पर्यावरण शिक्षण

  • बालक अपने पर्यावरण या वातावरण को प्रभावित करता है और बालक का पर्यावरण बालक को प्रभावित करता है।
  • शिक्षक के द्वारा शिक्षण का अर्थ करते समय बालक में उसके पर्यावरण के मध्य अंतः क्रिया का ज्ञान कराना या समाज स्थापित करना ही पर्यावरण का शिक्षण कहलाता है।

बालक में उसके पर्यावरण के प्रति समाज तीन प्रमुख आधारों पर किया जाता है।

पर्यावरण की प्रकृति : जब आप की कक्षा में बालक आए तो शिक्षक को चाहिए कि वह बालक के प्रति परिवेश की समाधि स्थापित करें।
प्राकृतिक परिवेश के समझ के क्रम में पेड़ पौधे, पशु पक्षियों, मनुष्य, वायु, जल, मृदा इत्यादि के बारे में समझ प्रदान करें।

सामाजिक : दूसरे कर्म में शिक्षक को चाहिए कि वह बालक को उसके सामाजिक पहलुओं से परिचित कराएं।
इस क्रम में शिक्षक को चाहिए कि वह बालक के परिवार पास पड़ोस खेल के मैदान व सगे संबंधियों के बारे में संबंध स्थापित करें।

आर्थिक : उपर्युक्त दोनों स्तर पर बालक में समझ स्थापित करने के पश्चात शिक्षक को चाहिए कि वह बालक को पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा प्रदान करें।
इस क्रम में शिक्षक को चाहिए कि वह बालक को बताएं कि पेड़ पौधे को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए साथ में पशु पक्षियों को भी चोट नहीं पहुंचाना चाहिए।

Bal Vikas evam Shiksha Shastra syllabus  CTET SYLLABUS

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विकास की अवधारणा PDF : विकास की अवधारणा अधिगम के साथ उसका संबंध

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विकास की अवधारणा PDF : विकास एक शपथ तथास्तु लगातार अर्थ आपने निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

विकास की अवधारणा PDF –अगर आप शिक्षक के तौर पर हम बच्चों से अधिक नजदीक से जुड़े होते हैं तो उन बच्चों के विकास की प्रक्रिया को जानने की जरूरत हम सब ने शिक्षकों की एक सफल शिक्षक बनने के लिए हमें बचो के विकास की प्रक्रिया को समझना बहुत ही जरूरी है। बच्चे कैसे बड़े होते हैं उनका विकास कैसे होता है? उन्हें अपनी विकास के दौरान किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है? उनमें क्या-क्या समाजिक शारारिक मानसिक संज्ञानात्मक समाजिक इत्यादि का विकास होता है? यह सभी विकास के विभिन्न आयाम है।

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इन सभी आपसी अथवा विमाओ अथवा पहलुओं की उचित विकास करके ही एक बच्चा सार्वभौमिक या सार्वांगिक विकास कर सकता है। यह सभी विकास के विभिन्न आयाम है इन सभी आयाम के उचित विकास के फलस्वरुप बच्चे में उम्र बढ़ने के साथ परिवर्तन होते जाते हैं बच्चे के विकास की प्रक्रिया में किन किन कारकों का प्रभाव पड़ता है। सो समझना भी बहुत जरुरी है यह सभी समझ हमें बच्चों की प्रत्येक आयु पराव अवस्था पर बच्चों की सामान्य विशेषताओं उनमें पाया जाने वाली व्यक्तिगत अंतर को समझने में मदद करती है।

आगे जाकर यह समझ बच्चों के साथ एक शिक्षक के रुप में हम अर्थ पूर्ण संबंध स्थापित करने में एवं उन बच्चों के लिए उचित वातावरण बनाने के लिए। हमारी सहायता करता है दूसरे साधारण शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि बच्चों की जीवन यापन और उसकी वृद्धि विकास की कहानी साथ ही शुरू हो जाता है। जब बच्चा मां के गर्भ में 1 पौधे की तरह जोरो से अंकुर के रूप में अपना जीवन प्रारंभ करता है।

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उसमें वह धीरे-धीरे वृद्धि विकास करते हुए विभिन्न परिवर्तन के साथ विकास पूर्ण करता है। इस वृद्धि विकास की कर्म में उसमें विभिन्न प्रकार की शारीरिक मानसिक संज्ञानात्मक संवेगात्मक नैतिक भस्म आत्मक परिवर्तन आते हैं। बच्चों के प्रति हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों में उम्र बढ़ने के साथ अभी जिन जिन परिवर्तनों की चर्चा हुई है वह परिवर्तन स्वता ही नहीं हो जाते हैं बल्कि बच्चों के वृद्धि विकास के साथ-साथ उसके सीखने की प्रक्रिया भी अर्थात अधिगम प्रक्रिया भी चलती रहती है।

अतः सीखने का अर्थात अधिगम का विकास गहरा और सीधा संबंध विकास और अधिगम दोनों एक दूसरे से संबंधित है दोनों एक दूसरे के पूरक हैं दोनों में अनुनाश्रय संबंध है। क्योंकि जो व्यक्ति अपने जीवन में जितना अधिक सीखता है उसे उतना ही अधिक विकसित माना जाता है और जो अपने जीवन में बहुत अधिक विकसित माना जाता है।

समावेशी शिक्षा का अर्थ – परिभाषा , अवधारणा, विशेषताएं -inclusive education in hindi

वह बहुत ज्यादा सिखा हुआ व्यक्ति होता है अतः इस आधार पर हम कह सकते हैं कि विकास और अधिगम दोनों साथ साथ निरंतर चलते ही रहते हैं व्यक्ति अपने अंत समय तक कुछ न कुछ सीखता और विकास करता है। अतः विकास की अवधारणा का अधिगम के साथ गहरा संबंध है और अधिगम प्रक्रिया का विकास की अवधारणा को समझना होगा और विकास की अवधारणा को समझने के लिए विकास के विभिन्न अवस्थाओं के बारे में जानना होगा।

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