Shikshan vidhi ke prakarShikshan vidhi ke prakar

शिक्षण विधि के प्रकार और परिभाषाएं | शिक्षण विधि की विशेषताएं : Shikshan vidhi ke prakar kya hai 

Shikshan vidhi ke prakar

  • पाठ्य-पुस्तक विधि (Text-Book Method)
  • व्याख्यान विधि अथवा भाषण विधि (Lecture Method)
  • समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method)
  • कहानी पद्धति (Story Telling Method)
  • आगमन-निगमन विधि (Inductive-Deductive Method)
  • वाद-विवाद पद्धति (Discussion Method)
  • योजना विधि (Project Method

आगमन विधि क्या है ? Inductive Method

  •  यदि उदाहरण से नियम की ओर चलती है। 
  • इसमें सबसे पहले बच्चों को उदाहरण दिया जाता है उसके बाद नियम बताया जाता है
  •  यह शिक्षण विधि छात्र केंद्रित विधि होती है। 
  •  जो विद्यार्थियों को करके सीखने(Learning to  Doing ) पर बल देती है।

इस विधि के कुछ तर्क-

  •  स्थूल से सूक्ष्म की ओर। 
  •  ज्ञात से अज्ञात की ओर। 
  •  मूर्त से अमूर्त की ओर। 

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निगमन विधि क्या है ( Deductive Method  Kya hai )

  • इस विधि का प्रतिपादन  -अरस्तु 
  •  निगमन विधि में बच्चों को नियम से उदाहरण की ओर ले  जाया जाता है जिसे हम निगमन विधि कहते हैं। 
  • इस विधि में सर्वप्रथम छात्र को नियम का ज्ञान दिया जाता है उसके बाद उदाहरण देकर समझाया जाता है। 
  • इसके पश्चात उदाहरण देकर उन नियमों को समझाया जाता है या विधि एक शिक्षक केंद्रित विधि मानी जाती है। 
  •  इसमें शिक्षक ही सारे नियम सिखाते हैं आगमन विधि के विपरीत निगमन विधि चलता है। 

इस विधि के तर्क

  •  सूक्ष्म से स्कूल की तरफ
  •  अज्ञात से ज्ञात की ओर
  •  नियम से उदाहरण की ओर
  •  अमूर्त से मूर्त की ओर

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प्रोजेक्ट विधि क्या है ? Project Method Kya hai 

  • इस विधि के प्रतिपादक योजना किल पैट्रिक थे। 
  • या विधि अनुभव केंद्रित होती है जिसमें बच्चों को अनुभव करके सिखाया जाता है। 
  • यह बालक उनको समाजीकरण पर विशेष प्रकार के बल देते हैं। 
  •  इस विधि में छात्र स्वतंत्र रूप से कार्य करता है और वह अपनी समस्याओं का हल स्वयं विचारों के आधार पर करता है। 
  •  यह एक बाल केंद्रित शिक्षा है
  •  इस विधि में शिक्षार्थी सक्रिय/ क्रियाशील रहते हैं। 
  •  समूह में रहकर कार्य करना सीखते हैं इसमें उनसे आत्मविश्वास पैदा होता है। 

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 प्रत्यक्ष विधि

  •  किस विधि मे बालक को बिना व्याकरण के नियम का ज्ञान कराया व भाषा सिखाया जाता है। 
  • इस विधि में जो बालक की मातृभाषा होती है उसे बिना मध्यस्थ बनाए उसे अन्य भाषा सिखाई जाती हैं। 
  • इस विधि में वार्तालाप के माध्यम से अधिक से अधिक सीखने पर बल दिया जाता है। 
  •  जिससे वह प्राकृतिक रूप से सीख सकें इस विधि में श्रव्य दृश्य सामग्री का प्रयोग किया जाता है प्राथमिक कक्षा हेतु यह विधि अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है । 

विश्लेषण विधि

  • विश्लेषण विधि के जनक या प्रतिपादन हेनरी एडवर्ड आर्मस्ट्रांग है। 
  • इस विधि में समस्या को छोटे-छोटे भागों में बांट कर उनका अध्ययन व समीक्षा करते हुए उसे हल किया जाता है। 

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संश्लेषण विधि

  • संश्लेषण विधि के जनक या प्रतिपादक हेनरी एडवर्ड आर्मस्ट्रांग ही है जो विश्लेषण विधि के जनक या प्रतिपादन माने जाते हैं। 
  • बिजली शंकर लेने के संश्लेषण पश्चात का कार्य होता है 
  • इस विधि में किसी समस्या या गतिविधि को छोटे-छोटे भागों को जोड़ते हुए समस्या का हल किया जाता है। 

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अनुकरण विधि क्या है ? SIMULATED TEACHING METHOD

  • इस विधि में बालक अनुकरण करके सीखता है। इसलिए इस विधि को अनुकरण विधि कहा जाता है। 
  • इस विधि में बालक अपने शिक्षक का अनुकरण करके लिखना पढ़ना वह रचना करना सीखता है। 
  • बच्चों का अनुकरण करने का मतलब यह होता है कि बच्चा शिक्षक का नकल करके सीखता है। 
  •  इस विधि के अंतर्गत बालक शिक्षक के उच्चारण को सुनकर ही वाचन करना सीखता है। 
  • इस विधि में पहले शिक्षक बोलता है फिर उसे बच्चों सुनकर अनुसरण करता है। 

शिक्षण का अर्थ और परिभाषा क्या है ? Shikshan Kya hai

व्याख्यान विधि क्या है ( Lecture Method kya hai )

  • इस विधि में किसी तत्व विषय की व्याख्या की जाती है जिसे हम व्याख्यान विधि कहते हैं। 
  • व्याख्यान विधि को शिक्षण की सबसे प्राचीन विधि  माना गया है। 
  •  इस विधि में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है इसीलिए इसे शिक्षक केंद्रीय शिक्षण विधि मानी जाती है। 

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मारिया मांटेसरी विधि क्या है?

  • मोंटेसरी विधि का प्रतिपादन मारिया मांटेसरी महोदय द्वारा किया गया था 
  • मरिया मोंटसरी देश की पहली महिला डॉक्टर थी। 
  • मारिया मांटेसरी विधि द्वारा मानसिक रूप से मंद बालक को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
  • या पद्धति 2.5 से 6 वर्ष तक के बच्चों हेतु प्रयोग में ली जाने वाली पद्धति है। 
  • इसका विकास डॉ मारिया मोंटेसरी द्वारा रूस विश्वविद्यालय में मंदबुद्धि मानकों की चिकित्सा हेतु उनकी शिक्षा हेतु किया गया है जो कुछ समय बाद सामान्य बुद्धि के बालकों के लिए भी शिक्षा में उपयोग लाई गई है  
  • जब आप की कक्षा में बालक सर्वप्रथम आए तो आपको चाहिए कि बालक उसके ज्ञान दिया कि परीक्षण करें और उसके विकास का अधिकतम  प्रशिक्षण प्रदान करें। 
  • ज्ञान इंद्रियों को अधिकतम  प्रशिक्षित कर लेने के पश्चात शिक्षक को चाहिए कि वह कर्मेंद्रियों का प्रशिक्षण करें और उसके अधिकतम विकास का परीक्षण प्रदान करें। 
  • उपर्युक्त दोनों स्तरों पर प्रशिक्षण प्रदान कर लेने के पश्चात शिक्षक को चाहिए कि वह सामान्य रूप से पढ़ना लिखना और गणितीय क्षमता का विकास करें। 
  • अंत में शिक्षक द्वारा सामाजिक विकास किया जाना चाहिए जिसमें समाज में समायोजन के तरीके सिखाए जाते हैं जैसे कि सुहाग, सुहानभूति, परस्पर, सहयोग, प्रेम इत्यादि। 

Shikshan vidhi ke prakar 

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