शिक्षण विधि के प्रकार और परिभाषाएं | शिक्षण विधि की विशेषताएं -Shikshan vidhi ke prakar

शिक्षण विधि के प्रकार और परिभाषाएं | शिक्षण विधि की विशेषताएं : Shikshan vidhi ke prakar kya hai 

Shikshan vidhi ke prakar

  • पाठ्य-पुस्तक विधि (Text-Book Method)
  • व्याख्यान विधि अथवा भाषण विधि (Lecture Method)
  • समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method)
  • कहानी पद्धति (Story Telling Method)
  • आगमन-निगमन विधि (Inductive-Deductive Method)
  • वाद-विवाद पद्धति (Discussion Method)
  • योजना विधि (Project Method

आगमन विधि क्या है ? Inductive Method

  •  यदि उदाहरण से नियम की ओर चलती है। 
  • इसमें सबसे पहले बच्चों को उदाहरण दिया जाता है उसके बाद नियम बताया जाता है
  •  यह शिक्षण विधि छात्र केंद्रित विधि होती है। 
  •  जो विद्यार्थियों को करके सीखने(Learning to  Doing ) पर बल देती है।

इस विधि के कुछ तर्क-

  •  स्थूल से सूक्ष्म की ओर। 
  •  ज्ञात से अज्ञात की ओर। 
  •  मूर्त से अमूर्त की ओर। 

शिक्षण का अर्थ और परिभाषा क्या है ? Shikshan Kya hai

निगमन विधि क्या है ( Deductive Method  Kya hai )

  • इस विधि का प्रतिपादन  -अरस्तु 
  •  निगमन विधि में बच्चों को नियम से उदाहरण की ओर ले  जाया जाता है जिसे हम निगमन विधि कहते हैं। 
  • इस विधि में सर्वप्रथम छात्र को नियम का ज्ञान दिया जाता है उसके बाद उदाहरण देकर समझाया जाता है। 
  • इसके पश्चात उदाहरण देकर उन नियमों को समझाया जाता है या विधि एक शिक्षक केंद्रित विधि मानी जाती है। 
  •  इसमें शिक्षक ही सारे नियम सिखाते हैं आगमन विधि के विपरीत निगमन विधि चलता है। 

इस विधि के तर्क

  •  सूक्ष्म से स्कूल की तरफ
  •  अज्ञात से ज्ञात की ओर
  •  नियम से उदाहरण की ओर
  •  अमूर्त से मूर्त की ओर

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प्रोजेक्ट विधि क्या है ? Project Method Kya hai 

  • इस विधि के प्रतिपादक योजना किल पैट्रिक थे। 
  • या विधि अनुभव केंद्रित होती है जिसमें बच्चों को अनुभव करके सिखाया जाता है। 
  • यह बालक उनको समाजीकरण पर विशेष प्रकार के बल देते हैं। 
  •  इस विधि में छात्र स्वतंत्र रूप से कार्य करता है और वह अपनी समस्याओं का हल स्वयं विचारों के आधार पर करता है। 
  •  यह एक बाल केंद्रित शिक्षा है
  •  इस विधि में शिक्षार्थी सक्रिय/ क्रियाशील रहते हैं। 
  •  समूह में रहकर कार्य करना सीखते हैं इसमें उनसे आत्मविश्वास पैदा होता है। 

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 प्रत्यक्ष विधि

  •  किस विधि मे बालक को बिना व्याकरण के नियम का ज्ञान कराया व भाषा सिखाया जाता है। 
  • इस विधि में जो बालक की मातृभाषा होती है उसे बिना मध्यस्थ बनाए उसे अन्य भाषा सिखाई जाती हैं। 
  • इस विधि में वार्तालाप के माध्यम से अधिक से अधिक सीखने पर बल दिया जाता है। 
  •  जिससे वह प्राकृतिक रूप से सीख सकें इस विधि में श्रव्य दृश्य सामग्री का प्रयोग किया जाता है प्राथमिक कक्षा हेतु यह विधि अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है । 

विश्लेषण विधि

  • विश्लेषण विधि के जनक या प्रतिपादन हेनरी एडवर्ड आर्मस्ट्रांग है। 
  • इस विधि में समस्या को छोटे-छोटे भागों में बांट कर उनका अध्ययन व समीक्षा करते हुए उसे हल किया जाता है। 

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संश्लेषण विधि

  • संश्लेषण विधि के जनक या प्रतिपादक हेनरी एडवर्ड आर्मस्ट्रांग ही है जो विश्लेषण विधि के जनक या प्रतिपादन माने जाते हैं। 
  • बिजली शंकर लेने के संश्लेषण पश्चात का कार्य होता है 
  • इस विधि में किसी समस्या या गतिविधि को छोटे-छोटे भागों को जोड़ते हुए समस्या का हल किया जाता है। 

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अनुकरण विधि क्या है ? SIMULATED TEACHING METHOD

  • इस विधि में बालक अनुकरण करके सीखता है। इसलिए इस विधि को अनुकरण विधि कहा जाता है। 
  • इस विधि में बालक अपने शिक्षक का अनुकरण करके लिखना पढ़ना वह रचना करना सीखता है। 
  • बच्चों का अनुकरण करने का मतलब यह होता है कि बच्चा शिक्षक का नकल करके सीखता है। 
  •  इस विधि के अंतर्गत बालक शिक्षक के उच्चारण को सुनकर ही वाचन करना सीखता है। 
  • इस विधि में पहले शिक्षक बोलता है फिर उसे बच्चों सुनकर अनुसरण करता है। 

शिक्षण का अर्थ और परिभाषा क्या है ? Shikshan Kya hai

व्याख्यान विधि क्या है ( Lecture Method kya hai )

  • इस विधि में किसी तत्व विषय की व्याख्या की जाती है जिसे हम व्याख्यान विधि कहते हैं। 
  • व्याख्यान विधि को शिक्षण की सबसे प्राचीन विधि  माना गया है। 
  •  इस विधि में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है इसीलिए इसे शिक्षक केंद्रीय शिक्षण विधि मानी जाती है। 

Child Development and Pedagogy meaning in Hindi

मारिया मांटेसरी विधि क्या है?

  • मोंटेसरी विधि का प्रतिपादन मारिया मांटेसरी महोदय द्वारा किया गया था 
  • मरिया मोंटसरी देश की पहली महिला डॉक्टर थी। 
  • मारिया मांटेसरी विधि द्वारा मानसिक रूप से मंद बालक को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
  • या पद्धति 2.5 से 6 वर्ष तक के बच्चों हेतु प्रयोग में ली जाने वाली पद्धति है। 
  • इसका विकास डॉ मारिया मोंटेसरी द्वारा रूस विश्वविद्यालय में मंदबुद्धि मानकों की चिकित्सा हेतु उनकी शिक्षा हेतु किया गया है जो कुछ समय बाद सामान्य बुद्धि के बालकों के लिए भी शिक्षा में उपयोग लाई गई है  
  • जब आप की कक्षा में बालक सर्वप्रथम आए तो आपको चाहिए कि बालक उसके ज्ञान दिया कि परीक्षण करें और उसके विकास का अधिकतम  प्रशिक्षण प्रदान करें। 
  • ज्ञान इंद्रियों को अधिकतम  प्रशिक्षित कर लेने के पश्चात शिक्षक को चाहिए कि वह कर्मेंद्रियों का प्रशिक्षण करें और उसके अधिकतम विकास का परीक्षण प्रदान करें। 
  • उपर्युक्त दोनों स्तरों पर प्रशिक्षण प्रदान कर लेने के पश्चात शिक्षक को चाहिए कि वह सामान्य रूप से पढ़ना लिखना और गणितीय क्षमता का विकास करें। 
  • अंत में शिक्षक द्वारा सामाजिक विकास किया जाना चाहिए जिसमें समाज में समायोजन के तरीके सिखाए जाते हैं जैसे कि सुहाग, सुहानभूति, परस्पर, सहयोग, प्रेम इत्यादि। 

Shikshan vidhi ke prakar

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Hindi pedagogy Notes | ctet hindi pedagogy notes pdf download,

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Hindi pedagogy Notes
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 अधिगम एवं अर्जन    

 अधिगम का अर्थ होता है सीखना एवं आर्यन का अर्थ होता है अर्जित करना या ग्रहण करना

 भाषा अधिगम से तात्पर्य  प्रणाली से है जिसमें बच्चा स्वयं प्रयास करता है तथा उसके लिए कुछ आवश्यक परिस्थितियां होती है अधिगम विद्यालय या किसी संस्था में होता है। 

 भाषा अर्जन अनुकरण के द्वारा होता है बालक अपने आसपास के लोगों  को बोलते लिखते पढ़ते हुए देखता है तथा अनुकरण के द्वारा  सीखता है इसमें बच्चों को कोई प्रयास नहीं करना पड़ता है भाषा अर्जन की प्रक्रिया सहज और स्वाभाविक होती है। 

 भाषा अर्जन से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु है

  •  भाषा अर्जन मुख्य मातृभाषा का होता है अर्थात मात्रिभाषा अर्जित की जाती है ना सीखी जाती है। 
  •  भाषण व्यवहारिक पद्धति है तथा इसमें अनुकरण की मुख्य भूमिका होती है। 
  •  भाषा  अर्जन में बच्चों को कोई प्रयास नहीं करना पड़ता है। 
  •  भाषा अर्जन की प्रक्रिया सहज और स्वाभाविक होता है। 
  • इसमें किसी अन्य भाषा का रोल नहीं होता है। 
  •  इसमें किसी व्याकरण की आवश्यकता नहीं पड़ता है। 
  •  भाषा अर्जुन  में सर्वाधिक महत्व समाज का होता है। 

 भाषा से संबंधित कुछ मनोवैज्ञानिक तथ्य

  •  पावलव और skiner : नकल बरतने से भाषा की क्षमता प्राप्त होती है। 
  •  चोम्स्की :  बच्चों में भाषा अर्जन की छमता जन्मजात होती है। 
  •  पियाजे:  भाषा अन्य संज्ञानात्मक तंत्रों की भांति परिवेश के साथ अंतः क्रिया के माध्यम से ही विकसित होता है। 
  •  वाइगोत्सकी :  बच्चों की भाषा समाज के साथ संपर्क का ही परिणाम होता है।

Some Important Notes of Hindi Pedagogy

  •  मानक भाषा अथवा द्वितीय भाषा सीखने में मातृभाषा का  रोल होता है। 
  •  स्कूल आने से पूर्व बच्चों अपनी मातृभाषा का प्रयोग करना जानते हैं। 
  •  बच्चे हैं स्कूल आने से पूर्व ही अपनी भाषाएं पूंजी से लैस होता है। 
  •  गृह कार्य बच्चे के सीखने का विस्तार देता है। 
  •  प्राथमिक शिक्षा का माध्यम बच्चे की मातृभाषा होना चाहिए। 
  •  प्राथमिक स्तर पर बच्चे को भाषा सीखने का मुख्य उद्देश्य होता है कि बच्चा जीवन  की विभिन्न परिस्थितियों में भाषा का प्रयोग कर पाता है। 
  •  कक्षा में बच्चे मातृभाषा को सदैव सम्मान देना चाहिए। 
  •  कक्षा में भाषा की विविधता संसाधन के रूप में कार्य करती है। 
  •  प्राथमिक स्तर बच्चों को भाषा प्रयोग के अधिक से अधिक अवसर देना चाहिए यह भाषा शिक्षण के लिए सबसे अधिक आवश्यक है। 

 भाषा शिक्षण के सिद्धांत 

अनुबंध का सिद्धांत क्या है?

अनुबंध का सिद्धांत :  शैशवावस्था में बच्चा किसी शब्द को सीखता है तो वह उसके लिए अमूर्त होता है इसलिए किसी मूर्त वस्तु से उसका संबंध जोड़ कर उसे शब्द सिखाया जाता है। 

 जैसे पानी शब्द बोलने के लिए पानी को दिखाया जाता है। 

 अनुकरण का सिद्धांत क्या है?

 अनुकरण का सिद्धांत :  बालक अपने परिवार यह समाज में बोली जाने वाली भाषा का अनुकरण करके सीखता है इसीलिए परिवार व समाज में त्रुटिपूर्ण भाषा का प्रयोग होता है तो बच्चा भी त्रुटि पूर्ण भाषा बोलने लगता है। 

 अभ्यास का सिद्धांत क्या है?

 अभ्यास का सिद्धांत : Thorndike के अनुसार भाषा का विकास अभ्यास पर निर्भर करता है भाषा बिना अभ्यास के ना तो सीखी जाती है ना ही उसके कुशलता का बरकरार रखा जा सकता है। 

 इनके अलावा भी भाषा के कई अन्य छोटे-छोटे सिद्धांत दिए हुए हैं। 

 महत्वपूर्ण बिंदु हैं 

भाषा सीखने के लिए एक ऐसी गतिविधियां कराई जानी चाहिए जिसमें बच्चों को भाषा प्रयोग एवं अभिव्यक्ति के अधिक अवसर मिले। 

  •  भाषा सीखने का व्यवहार वादी दृष्टिकोण अनुकरण पर बल देता है। 
  •  भाषा शिक्षण में सबसे अधिक महत्वपूर्ण भाषा प्रयोग के अवसर देना होता है। 
  •  भाषा शिक्षण की प्रक्रिया अन्य विषयों की कक्षा में भी चलती रहती है क्योंकि किसी भी विषय को बढ़ाने के लिए संप्रेषण की आवश्यकता होती है। 
  •  भाषा शिक्षण में कविता कहानियां का प्रयोग करना चाहिए ताकि बच्चे भाषा सीखने में रुचि लें। 

कहानियां कविता नाटकों का प्रयोग कक्षा में निम्न उद्देश्य की पूर्ति करता है

  • बच्चों को इसमें आनंद आता है। 
  •  बच्चे विषय में रुचि लेते हैं। 
  •  बच्चे अपनी संस्कृति को जानते हैं
  •  शब्द भंडार कल्पना शक्ति चिंतन सृजन आदि कौशलों का विकास होता है। 

 भाषा के कार्य एवं उनके विकास में बोलने एवं सुनने की भूमिका

 भाषा के कार्य

  •  भाषा व्यक्ति को अपनी आवश्यकता इच्छा भावनाएं आदि अभिव्यक्त करने की सहायता प्रदान करती है। 
  •  दूसरा का ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए हम भाषा का प्रयोग करते हैं। 
  •  सामाजिक संबंध बनाने के लिए हम भाषा का प्रयोग करते हैं। 
  •  नई ज्ञान की प्राप्ति के लिए भाषा बहुत ही आवश्यक है। 
  •  शिक्षा प्राप्त करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। 
  •  दूसरे व्यक्ति की बातों को समझने के लिए भाषा की जरूरत पड़ता है। 
  •  अपनी कला संस्कृत समाज का विकास करने के लिए भाषा की जरूरत होता है। 

 भाषा विकास में सुनने की भूमिका

 सुनना  भाषा विकास के निम्न क्षेत्रों में भूमिका निभाता है जैसे कि

  • सुनकर ही बच्चा बोलना सीखता है वह अपने परिवार व समाज के लोगों को बोलते हुए सुनता है तथा उनका अनुकरण करता है। 
  •  भाषा भंडार में वृद्धि के लिए होता है। 
  •  बोलकर ही बच्चा भाषा कुशलता भाषा प्रभाव प्राप्त करता है। 
  •  बातचीत के द्वारा सामाजिक संबंधों का निर्माण होता है। 

भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक

  •  स्वास्थ्य 
  •  वृद्धि 
  •  सामाजिक-आर्थिक स्तर
  •  परिवार का आकार
  •  जन्म कर्म
  •  जुड़वा बच्चा
  •  एक से अधिक भाषा का प्रयोग
  •  साथियों के साथ संबंध
  •  माता-पिता द्वारा प्रेरणा

 भाषा अधिगम में व्याकरण की भूमिका

  • भाषा का व्याकरण भाषा का मूल रूप होता है। 
  •  व्याकरण के बिना भाषा का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
  •  भाषा में सदैव परिवर्तन होता रहता है भाषा के इस परिवर्तन पर नियंत्रण रखने का अर्थ व्याकरण ही करता है। 
  •  व्याकरण से भाषा में शुद्धता आती है। 
  •  व्याकरण से विभिन्न ध्वनियों विभिन्न शब्दों का ज्ञान प्राप्त होता है। 
  •  व्याकरण के बिना भाषा शिक्षण एक कठिन कार्य है। 
  •  बच्चों को भाषा के नियम सिखाने के लिए व्याकरण की आवश्यकता पड़ती है। 
  •  व्याकरण के बिना भाषा शिक्षण एक कठिन कार्य है। 
  •  उच्च प्राथमिक स्तर पर व्याकरण शिक्षण प्रारंभ हो जाता है। 
  •  प्राथमिक स्तर पर बच्चों को व्याकरण नहीं पढ़ाया जाता है परंतु शिक्षक को व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक है। 

व्याकरण शिक्षण की विधि

 निगमन विधि क्या है?

 निगमन विधि :  जब इतने पर आधारित होता है इसमें शिक्षक छात्रों को मौखिक रूप से भाषा के नियम बता देता है या फिर उसे लिखित रूप में प्रदर्शित करता है जिससे विद्यार्थी नियम और विधियों को रख लेता है।  

वैसे तो इस विधि को नियम पर आधारित होता है। शिक्षक द्वारा पहले नियम प्रदान किया जाता है उसके बाद उसका विश्लेषण किया जाता है जिसे हम निगमन विधि कहते हैं।  यह शिक्षक केंद्रित विधि मानी जाती है। 

 आगमन विधि क्या है?

 आगमन विधि :  यह एक व्यवहारिक विधि है इसमें बच्चे कुछ उदाहरणों के आधार पर सीखता है इस विधि के अंतर्गत शिक्षक सबसे पहले उदाहरण देता है उसके बाद नियम बताते हैं। 

 बच्चों को सर्वप्रथम उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है उसके बाद नियम प्रदान किया जाता है।  यह विधि छात्र केंद्रित विधि मानी जाती है। 

 प्रयोग विधि क्या है? 

 प्रयोग विधि :  यह विधि आगमन विधि से मिलती-जुलती है जिसमें आंकड़ों को उदाहरण देकर या प्रयोग करके निष्कर्ष निकाला जाता है। 

 प्रत्यक्ष विधि क्या है? 

 प्रत्यक्ष विधि :  प्रत्यक्ष विधि में बच्चों को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव प्रदान किया जाता है कहने का मतलब बच्चों को विद्वान लेखकों तथा वह लोग जिन्हें भाषा पर पूर्व अधिकार होता है उससे बातचीत के अवसर प्रदान किए जाते हैं यह विधि अनुकरण पर आधारित है यह एक व्यवहारिक दृष्टिकोण से भी है। 

  भाषा संसर्ग विधि  क्या है?

 भाषा संसर्ग विधि मैं बच्चों को विद्वान लेखकों की कृतियां तथा पुस्तके पढ़ाई जाती है जिससे भाषा को सही रूप में बच्चे जान सके। 

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 खेल विधि क्या है ?

 खेल विधि में बच्चे सबसे ज्यादा रुचि लेता है खेल के माध्यम से बच्चों को शब्द भेद लिंग वेद वचन संज्ञा इत्यादि सिखाए जाते हैं । 

भाषा विविधता वाले कक्षा कक्ष की समस्याएं

 भाषा विविधता क्या है ?

 भाषा विविधता को बहुभाषिकता भी कह सकते हैं भारत एक बहू भाग सकता देश है यहां पर हर क्षेत्र में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है जब एक ही कक्षा में अलग-अलग स्थानों से बच्चे आते हैं तो उनकी मात्रिभाषा अलग-अलग होती है ऐसी कक्षा को भाषा विविधता वाली कक्षा कर सकते हैं या कहा जाता है। 

 समस्या या चुनौतियां

  •  यदि बच्चों की मातृभाषा हिंदी नहीं है तो उसे हिंदी पुस्तकें पढ़ने व समझने में समस्या आ सकती है। 
  •  सभी बच्चों के भाव को समझना शिक्षक के लिए कठिन हो सकते हैं।
  •  शिक्षक को इस योग्य बनाना होता है कि वह प्रत्येक बच्चों की अभिव्यक्ति को समझ स्थापित कर सकें। 
  •  बच्चे एक दूसरे से बात करने में हिचकते हैं क्योंकि उनकी भाषाएं अलग अलग होती है।  

भाषा विविधता का लाभ

यद्यपि भाषा में विद्या वाली कक्षा में कुछ चुनौतियां का सामना करना पड़ता है क्योंकि इसके कुछ लाभ हैं:

  • भाषा विविधता या बहुभाषिकता कक्षा में एक संसाधन के रूप में कार्य करती है। 
  •  बच्चों को अन्य भाषाओं के शब्दों को जानने का अवसर मिलता है। 
  •  शब्द भंडार में वृद्धि होती है

 भाषा कौशल

 एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की बातों विचारों को सुनने समझने तथा अपनी बातों विचारों भावनाओं को सख्त करने में जिन मुख कौशलों का प्रयोग किया जाता है उन्हें भाषा कौशल कहा जाता है भाषा कौशल चार प्रकार के होते हैं। 

 भाषा कौशल कितने प्रकार के होते हैं ? 

भाषा कौशल चार प्रकार के होते हैं

  • श्रवण कौशल
  • बोलना कौशल
  •  पढ़ना कौशल
  •  लिखना कौशल

 सुनना और पढ़ना ग्रहण आत्मक कौशल है

 बोलना और लिखना अभिव्यक्त आत्मक कौशल है। 

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सिंधु घाटी की सभ्यता

  • हड़प्पा उपमहाद्वीप के सबसे पुराने नगरों में से एक था जो सिंधु नदी के तट पर खोज जाने वाला पहला नगर था चुकी या सिंधु नदी के तट पर फला- फूला इसलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम दिया गया है।
  • शोधकर्ताओं का मानना था कि सरस्वती नदी भी कभी यहां बहती थी लेकिन बाद में यह लुप्त हो गए इसी कारण इस सभ्यता को सिंधु सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जाना जाना लगा।
    हड़प्पा के खंडहरों का वर्णन सबसे पहले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक और आविष्कारक चाल में सन ने अपनी पुस्तक में लिखा था कि उसने हड़प्पा नगर की खोज उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत में की थी जो अब पाकिस्तान में स्थित है।
    1856 ईस्वी में इंजीनियरों ने लाहौर को कराची से जोड़ने वाला एक रेलवे लाइन बिछाई जो ने और जली हुई एट मिला उनके महत्व को समझे बिना उन्होंने रेल मार्ग बचाने के लिए ईटों का उपयोग किया था।
  • 1920 के दशक में पुरातत्व वेदों ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नगर की खुदाई शुरू की जिसमें लंबे समय से अज्ञात नगरों का अवशेष का पता लगा।
  • 1924 ईस्वी में भारतीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के बीच कई सामान्य विशेषता पाए जिसमें उन्होंने निष्कर्ष निकला कि वह एक बड़ी सभ्यता का हिस्सा था।
  • कुछ मामूली अंतर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की मिट्टी के बर्तनों में पाए गए इसमें शोधकर्ताओं निष्कर्ष निकला कि हड़प्पा मोहनजोदड़ो से पुराना था मोहनजोदड़ो ने पुरातत्व स्थल को 1980 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित कर दिया गया।

सिंधु सभ्यता का समय कब से कब तक था?

  • भौगोलिकसीमा : दक्षिणएशिया
  • काल : कांस्य युग
  • समय : 3500 से 1900 ईसा पूर्व
  • क्षेत्र : 13 लाख वर्ग किलोमीटर
  • नगर : 6 बड़ेनगर
  • गांव : 200 से अधिक

यह सभ्यता कांस्य युग की पूर्व की है क्योंकि इसमें कांस्य युग से बनी वस्तुओं का उपयोग किया जाता था हड़प्पा सभ्यता को निम्नलिखित कर्म से नगरीय सभ्यता भी कहा जाता है।

  • सुनियोजित नगरी व्यवस्था
  • आश्चर्यजनक निर्माण और वास्तुकल
  • स्वच्छता एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता
  • मानकीकृत भार मापन
  • ठोस कृषि और शिल्पकार आधार

हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल

  • हड़प्पा रवि के तट पर पंजाब के साहिवाल जिले में स्थित है इसकी खुदाई 1921 ईस्वी में किया गया था।
  • मोहनजोदड़ो सिंधु घाटी के तट पर सिंधु के लड़का ना जिले में स्थित है इसकी खुदाई 1922 ईस्वी में किया गया था।
  • अमरी बलूचिस्तान के पास सिंधु नदी के तट पर स्थित है इसकी खुदाई 1935 ईस्वी में किया गया था।
  • लोथल गुजरात में खंभात की खाड़ी के पास भगवान नदी पर स्थित है इसकी खुदाई 1953 ईस्वी में की गई थी यह गोदी के लिए जाना जाता है।
  • धोलावीरा गुजरात में कच्छ के रण में स्थित है इसकी खुदाई 1985 ईस्वी में किया गया था।
  • कालीबंगा राजस्थान में घाघरा नदी के तट पर स्थित है इसकी खुदाई 1953 ईस्वी में किया गया था।
  • मंडा चुनाव नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है इसकी खुदाई 1976 से लेकर 1977 ई के बीच किया गया था।
  • को दीजिए पाकिस्तान में सिंधु नदी के तट पर स्थित है इसकी खुदाई 1955 और 1957 ईस्वी में की गई थी।
  • चन्हूदो सिंधु नदी पाकिस्तान में स्थित है या 1931 ईस्वी में खुदाई की गई थी यह एक मनका कारखाने के लिए प्रसिद्ध थे।

हड़प्पा सभ्यता की अनूठीविशेषताएं
Unique feature of Harappan civilization

नगर नियोजन

  • नगर नियोजन सिंधु सभ्यता की एक अनोखी विशेषता है हड़प्पा नगर के दो नियोजित क्षेत्र थे अन्य सभी नगर जहां हड़प्पा के शासन भवन पाए गए थे उन्हें हड़प्पा के प्रारूप के रूप में वर्णित किया गया था इन नगरों को दो या दो से अधिक भागों में बांटा गया।
  • ऊपरी नगर गढ़ पश्चिम का भाग जो छोटा लेकिन ऊंचा था गढ़ कहलाता था इसका उपयोग प्रशंसकों द्वारा किया गया था
  • निकला नगर पूर्व का हिस्सा बड़ा था लेकिन निचला हिस्सा निकला नगर कहा जाता था जहां आम लोग का निवास था।
  • प्रत्येक भाग के चारों ओर पकी हुई आईटी की दीवार बनाई गई थी इतनी अच्छी तरह से पक्की हुई थी कि वह हजारों वर्ष तक चली है ईटों को एक इंटरलॉकिंग प्रतिरूप में रखा गया था और इसे दीवारों को मजबूत हो गई कृपया ध्यान दें की पकी हुई ईटों का उपयोग किया गया था क्योंकि यह मजबूत और कठोर टिकाऊ और आज पानी या बारिश के प्रतिरोधी होते थे।
  • कुछ नगरों में गढ़ पर विशेष भावनाओं का निर्माण किया गया था उदाहरण के लिए मोहनजोदड़ो में इस क्षेत्र में एक बहुत ही विशेष तालाब जिसे पुरातत्व महान स्नानागार कहते हैं बनाया गया था मोहनजोदड़ो हड़प्पा और लोथल जैसे कुछ नगरों में विस्तृत भंडार गिरी भी थे।
    अन्य सर्वोदय से कालीबंगा और लोथल में अग्निबेड़ियों थी जहां यज्ञ और कर्मकांड किए जाते थे।

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CTET Positive and Negative Words in Hindi

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अधिगम अक्षमता : अधिगम अक्षमता शब्द को पहली बार 1963 ईस्वी में सैम्यूल क्रिक किर्क प्रयोग किया था अधिगम अक्षमताओं का अर्थ सीखने की कमी या कठिनाइयां या अनुपस्थिति से होता है । 

 अधिगम अक्षमता की विशेषताएं

  • अधिगम अक्षमता विकार है ना की बीमारी है। 
  •  कुछ समय बाद यह स्वता ही खत्म हो जाती है क्योंकि अधिगम में परिपक्वता आने लगती है। 
  •  सभी अधिगम अक्षमता परिवर्तनशील होती है। 
  •  अधिगम अक्षमता मनोवैज्ञानिक भी हो सकती है। 

प्रमुख अधिगम अक्षमता

Dystonia : गतिशीलता विकार( जिसमें मांसपेशियों के सिकुड़ने  के कारण चलने में परेशानी होता है)

Acquired Helplessness : अर्जित  नी सहायता ( जिसमें व्यक्ति इतना निराश हो चुका होता है कि उसे लगता है कि वह अब कुछ नहीं कर सकता है)

Dysphasia : संप्रेषण विकार (  किसी मस्तिष्क की बीमारी या क्षति का परिणाम 

 CTET Positive and Negative Words in Hindi

  • मानवीय कृत्य परीक्षण
  •  वेतन और अभ्यास
  •  वैयक्तिक भिन्नता में समानता
  •   बाहिया प्रेरणा
  •  लालच
  •  2 विद्यार्थियों में तुलना
  •  सिर्फ अंक लाने के लिए पढ़ना
  •  व्याख्यान विधि
  •  योगात्मक आकलन
  •  शिक्षक केंद्रित शिक्षा
  •  रटंत प्रणाली
  •  फूट डालो और राज करो 

Positive Tag Word 

  • बाल केंद्रित शिक्षा
  •  आंतरिक प्रेरणा
  •  करके सीखना
  •  अंतः क्रिया
  •  विविधता
  •  समावेशी शिक्षा
  •  सतत और व्यापक मूल्यांकन
  •  अधिगम के लिए  आकलन
  •  पूर्व ज्ञान
  •   त्रुटियां
  •  भरम
  •  असफलता
  •  परिवर्तनशील या प्रगतिशील शिक्षा
  •  लचीलापन और गतिशीलता
  •  रचनावाद / सृजनात्मकता
  •  प्रयास करना
  •  समायोजन या अनुकूलन
  •  खोज विधि

Ncf-2005 के मार्गदर्शी सिद्धांत

  • ज्ञान को स्कूली शिक्षा के बाहर के जीवन से जोड़ना। 
  • पढ़ाई को रटंत प्रणाली से मुक्त करना
  • पढ़ाई को सिर्फ पाठ्यपुस्तक हो तक सीमित ना रहने देना। 
  • परीक्षा प्रणाली लचीलापन बनाना तथा कक्षा को गतिविधि से जोड़ना। 
  • शिक्षा द्वारा प्रजातांत्रिक एवं राष्ट्रीय चिंताओं को समाहित करना
  • ncf-2005  रचनावाद पर जोर देता है। 
  • ncf-2005 बिना बोझ की शिक्षा देने का वादा करता है। 
  • Ncf-2005 मोटी मोटी पुस्तकों को शिक्षा को असफलता माना है। 
  • Ncf-2005 के अनुसार कक्षा में पसरा हुआ सन्नाटा अधिगम का सूचक नहीं है।
  •  डंडे के डर से व्यवस्था स्थापित हो सकती है पर अनुशासन नहीं बना सकता है। 
  • पिछले कुछ वर्षों में स्कूल के बस्ते का वजन तो बड़ा है पर गुणवत्ता में शिक्षा नहीं बढ़ा है। 
  •  अधिगम स्वभाव से सक्रिय और सामाजिक है। 
  •  बाल केंद्रित शिक्षा शास्त्र का अर्थ बच्चों की आवाज है एवं उनके अनुभवों की वरीयता देना। 
  •  ncf-2005 लिंग पूर्वाग्रह का विरोध करता है तथा बालक बालिकाओं को विपरीत भूमिकाओं में रखने पर जोर देता है। 
  •  अधिगम एक अंतः क्रियात्मक प्रक्रिया है तथा इसमें वयस्कों के साथ काम करना सहपाठियों के साथ विचार विमर्श करना आदि अत्यंत लाभदायक है। 
  •  शिक्षक एक मार्गदर्शक सुविधा प्रदाता शुभम कर्ता और उत्प्रेरक है जो विद्यार्थियों को ज्ञान सृजन के लिए प्रोत्साहित करता है। 
  •  ncf-2005 विवेचनात्मक शिक्षा शास्त्र पर जोर देता है क्योंकि विवेचनात्मक शिक्षाशास्त्र राजनैतिक सामाजिक आर्थिक पहलुओं पर आलोचनात्मक दृष्टि कौन विकसित करता है। 
  •  ज्ञान कोई तैयार माल नहीं। 
  •  ज्ञान प्राप्त नहीं होता है ज्ञान की रचना की जाती है। 
  •   बच्चा कोई कोरी पटिया नहीं है वह कई अनुभवों के साथ स्कूल में प्रवेश करता है। 
  • सीखने और सिखाने में स्थानीय  ज्ञान एवं सामाजिक परिवेश को महत्वपूर्ण माना है
  •  बच्चों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। 
  •  ncf-2005 में 4 क्षेत्रों में विशेष ध्यान आकर्षित किया जाना चाहिए । कला शिक्षा कार्य शिक्षा स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा तथा शांति शिक्षा
  •  ncf-2005 के 5 दस्तावेजों में भाषा के लिए द्वि भाषिकता तथा बहुभाषिकता का समर्थन करता है। 
  • बच्चे स्कूल जीवन की शुरुआत के पहले से ही भाषा की जटिलता एवं नियमों को आत्मसात करने की क्षमता रखते हैं। 

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Vedic Civilization in Hindi | वैदिक काल क्या है? वैदिक काल पीडीएफ नोट्स, वैदिक काल कब से कब तक है

Vedic Civilization in Hindi | | वैदिक काल क्या है? वैदिक काल पीडीएफ नोट्स, वैदिक काल कब से कब तक है

Vedic Civilization in Hindi : वैदिक काल क्या है? वैदिक काल पीडीएफ नोट्स, वैदिक काल कब से कब तक है, वैदिक युग से आप क्या समझते हैं, वैदिक युग क्या होता है, वैदिक धर्म की स्थापना कब हुई, वैदिक काल नोट्स, वैदिक काल को कितने भागों में बांटा गया

Vedic Civilization in Hindi

भारत में नगरीकरण का पहला चरण सिंधु सभ्यता के पतन के साथ समाप्त हुए हैं आर्यों के आगमन के साथ वैदिक योग नामक एक नए युग की शुरुआत हुआ यह भारत के इतिहास में 1500 ईसा पूर्व और 600 इस पर्व के बीच की अवधि है इसे इसका नाम चार वेदों से प्राप्त होता है इसमें दो अप चरणों में वर्गीकृत किया गया है।

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Vedic Civilization in Hindi

प्रारंभिक वैदिक युग 1500 ईसा पूर्व से लेकर 1000 ईसा पूर्व तक है
उत्तर वैदिक काल 1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक है।

आर्य समाज

आर्य समाज के बारे में आप क्या जानते हैं?
आर्य समाज किसे कहते हैं?

आर्य इंडो आर्य भाषा बोलने वाले होते हैं अर्थ खानाबदोश चरवाहे थे वह हिंदू कुश पर्वत के खबर दर्जे के माध्यम से प्रवास की कई समूहों में मध्य एशिया से आए थे यह पशुपालन उनका मुख्य व्यवसाय होता था फिर भी वह काटो और जलाओ कृषि भी करते थे अर्थात यह स्थानांतरण या झूमिंग कृषि करते थे।

वैदिक संस्कृति का विस्तार

  • भौगोलिक सीमा : उत्तर भारत
  • अवधी : लोह युग
  • समय अवधि : 1500 ईसा पूर्व से लेकर 600 ईसा पूर्व तक

आर्य समाज का स्रोत क्या था

आर्य समाज वैदिक साहित्य से संबंधित थे।

वैदिक साहित्य

वैदिक साहित्य को दो श्रेणियां में वर्गीकृत किया गया है।

श्रुति : श्रुति में चार वेद ब्राह्मण आर्यनक और उपनिषद शामिल हैं जिन्हें पवित्र शाश्वत और एक निर्विवाद सत्य माना जाता है श्रुति का अर्थ सुना होता है जिनको पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से प्रसारित किया गया था

वेद चार प्रकार के होते हैं

ऋग्वेद: यह सबसे पुराना वेद है और इसकी रचना लगभग 3500 साल पहले हुए थे ऋग्वेद में 1000 से अधिक सूक्त हैं जिन्हें अच्छी तरह से कहा जाता है यह भजन विभिन्न देवी देवताओं की श्रुति को समर्पित है इनमें तीन देवताओं से स्वरूप से महत्वपूर्ण है जो निम्न दिया गया है।

  • अग्नि जो आज के देवता है
  • इंद्र जो बारिश के देवताहै
  • सोम एक पौधे जिससे एक विशेष प्रकार का पेय तैयार किया जाता था।

ऋग्वेद के सूक्त की रचना ऋषियों ने किए थे उसे समय के आचार्य ने छात्रों को प्रत्येक शब्दांश और वाक्य को थोड़ा-थोड़ा करके बहुत सावधानी से पढ़ना और याद करना सिखाया था।
अधिकांश सूक्त पुरुषों द्वारा रचित सीखने और सीखे जाते थे हालांकि कुछ सूक्त की महिलाओं द्वारा भी रचना की गई थी ऋग्वेद प्राचीन आर्य भाषा संस्कृत है में रचना किया गया था ऋग्वेद को स्वयं पढ़ने के बजाय पड़ा और सुना गया था इस लिखे जाने वाले शताब्दियों के बाद पहली बार इसे लगभग 200 वर्ष पूर्व मुद्रित किया गया था।
ऋग्वेद के कुछ सूक्त संवाद के रूप में है यह एक ऐसे साहित्य का हिस्सा है जो विश्वामित्र नामक एक ऋषि और उन दो नदियों के बीच एक संवाद है जिन्हें देवी के रूप में पूजा जाता था।
ऋग्वेद में मवेशियों बच्चों और जिस घोड़े के लिए कई प्रार्थना ने किए जाते थे

सामवेद: यह गायन से संबंधित सबसे पुराना संदर्भ है।

आयुर्वेद: इस योग और यज्ञ विधि पुस्तक भी कहा जाता है।

अथर्ववेद : इसमें जादू टोना और लौकिक शक्तियों की पुस्तक कहा जाता था।

स्मृति : धर्म पर शिक्षाओं वाले ग का एक ऐसा समूह है जिसमें स्मृतियां शाश्वत नहीं होती थी उन्हें लगातार संशोधित किया जाता था समिति का अर्थ निश्चित और लिखित सहित होता

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CTET Syllabus pdf in english (Paper I and Paper II)

CTET Syllabus pdf in english(Paper I and Paper II)
Paper I (for classes 1 to V) Primary Stage

I. Child Development and Pedagogy 30 Questions
a) Child Development (Primary School Child) 15 Questions

• Concept of development and its relationship with learning
• Principles of the development of children
• Influence of Heredity & Environment
• Socialization processes: Social world & children (Teacher, Parents, Peers)
• Piaget, Kohlberg and Vygotsky: constructs and critical perspectives
• Concepts of child-centered and progressive education
• Critical perspective of the construct of Intelligence
• Multi-Dimensional Intelligence
• Language & Thought
• Gender as a social construct; gender roles, gender-bias and educational practice• Individual differences among learners, understanding differences based on diversity of
language, caste, gender, community, religion etc.
• Distinction between Assessment for learning and assessment of learning; School-Based
Assessment, Continuous & Comprehensive Evaluation: perspective and practice
• Formulating appropriate questions for assessing readiness levels of learners; for enhancing
learning and critical thinking in the classroom and for assessing learner achievement.
b) Concept of Inclusive education and understanding children with special needs 5 Questions• Addressing learners from diverse backgrounds including disadvantaged and deprived
• Addressing the needs of children with learning difficulties, „impairment‟ etc.
• Addressing the Talented, Creative, Specially abled Learners
c) Learning and Pedagogy 10 Questions
• How children think and learn; how and why children “fail‟ to achieve success in school
performance.
• Basic processes of teaching and learning; children’s strategies of learning; learning as a social
activity; social context of learning.
• Child as a problem solver and a “scientific investigator‟
• Alternative conceptions of learning in children, understanding children’s “errors” as significant
steps in the learning process.
• Cognition & Emotions
• Motivation and learning
• Factors contributing to learning – personal & environmental

II. Language I 30 Questions

a) Language Comprehension 15 Questions

• Reading unseen passages – two passages one prose or drama and one poem with questions
on comprehension, inference, grammar and verbal ability (Prose passage may be literary,
scientific, narrative or discursive)
b) Pedagogy of Language Development 15 Questions
• Learning and acquisition
• Principles of language Teaching
• Role of listening and speaking; function of language and how children use it as a tool
• Critical perspective on the role of grammar in learning a language for communicating ideas
verbally and in written form
• Challenges of teaching language in a diverse classroom; language difficulties, errors and
disorders
• Language Skills
• Evaluating language comprehension and proficiency: speaking, listening, reading and writing
• Teaching- learning materials: Textbook, multi-media materials, multilingual resource of the
classroom
• Remedial Teaching
III. Language – II 30 Questions
a) Comprehension 15 Questions
• Two unseen prose passages (discursive or literary or narrative or scientific) with question on
comprehension, grammar and verbal ability

CTET CDP Syllabus- Pedagogy of Language Development 15 Questions

• Learning and acquisition
• Principles of language Teaching
• Role of listening and speaking; function of language and how children use it as a tool
• Critical perspective on the role of grammar in learning a language for communicating ideas
verbally and in written form;
• Challenges of teaching language in a diverse classroom; language difficulties, errors and
disorders
• Language Skills
• Evaluating language comprehension and proficiency: speaking, listening, reading and writing
• Teaching – learning materials: Textbook, multi-media materials, multilingual resource of the
classroom
• Remedial Teaching

CTET Mathematics 30 Questions
a) Content 15 Questions

• Geometry
• Shapes & Spatial Understanding

• Solids around Us
• Numbers
• Addition and Subtraction
• Multiplication
• Division
• Measurement
• Weight
• Time
• Volume
• Data Handling
• Patterns
• Money

b) Pedagogical issues 15 Questions

• Nature of Mathematics/Logical thinking; understanding children’s thinking and reasoning
patterns and strategies of making meaning and learning
• Place of Mathematics in Curriculum
• Language of Mathematics
• Community Mathematics
• Evaluation through formal and informal methods
• Problems of Teaching
• Error analysis and related aspects of learning and teaching
• Diagnostic and Remedial Teaching
V. Environmental Studies 30 Questions
a) Content 15 Questions
i. Family and Friends:
Relationships
Work and Play Animals
Plants
ii. Food
iii. Shelter
iv. Water
v. Travel
vi. Things We Make and Do
b) Pedagogical Issues 15 Questions
• Concept and scope of EVS
• Significance of EVS, integrated EVS
• Environmental Studies & Environmental Education
• Learning Principles
• Scope & relation to Science & Social Science
• Approaches of presenting concepts
• Activities
• Experimentation/Practical Work
• Discussion
• CCE
• Teaching material/Aids
• Problems

Shashi Kr. Yadav

Shashi Kr. Yadav (Chandan)

Shashi Kr. Yadav

Intro

Bloggers, YouTube Expert, Website Disigner, SEO Experts CPC Expert
Contact (WhatsApp/Call) : 7903077583
Telegram :       8877624681
Working on Blogging with www.WiFitimes.in
Works at Google
digital content creator
Studied I.sc at B.s.s collage supaul
Studied Zoology ( Honours ) 2019 only 1st Year Only Complete at MLT Saharsa College ,saharsa
Studied D.El.Ed (2019-21) with KGI Patna at Bihar School Examination Board (BSEB), Patna, Bihar
Studies B.A. English (2022-25) at BNMV College, Sahugarh, Madhepura
Studied at Bhupendra Narayan Mandal University
Went to +2 Genral High School Triveniganj
Lives in Patna, India
From Tribeniganj, Bihār, India
Single
Followed by  people
Hobbies:
🏏Cricket 
🐄Animal Keeping
💻Blogging
&
Shashi Kumar

CTET REGISTRATION 2022 @ www.ctet.nic.in 2022

CTET REGISTRATION 2022

CTET REGISTRATION 2022 : सीटेट केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 16 संस्करण 2022 के एंट्रेंस एग्जाम का आयोजन दिसंबर 2022 में किया जाएगा तो इसके लिए सबसे पहले आपको सी टेट एप्लीकेशन फॉर्म 2022 को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन ( CTET application form 2022 ) करना होगा जो आपके ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं सीटेट 2022 की परीक्षा सरकारी एवं सरकार के सहयोग से चलने वाले विद्यालय जिसमें कक्षा एक से पांच तक के अध्यापक भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरा जाएगा जिसके नीचे दिया गया है।

CTET Registration 2022 in hindi

Subject

Details

परीक्षा का नाम

सीटेट – केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET)

परीक्षा आयोजन निकाय

सीबीएसई – केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE)

सीटेट 2022 सत्र

  • सीटेट 2022 जून सत्र

  • सीटेट 2022 दिसंबर सत्र

फॉर्म भरने का मोड

ऑनलाइन

एप्लीकेशन शुल्क

GEN/OBC(नॉनक्रीमी लेयर)-

  • एक पेपर – 1000 रुपये

  • दोनों पेपर – 1200 रुपये

SC/ST/दिव्यांगजनों के लिए-

  • एक पेपर – 500 रुपये

  • दोनों पेपर – 600 रुपये

परीक्षा स्तर

NATIONAL

आधिकारिक वेबसाइट

www.ctet.nic.in

CTET 2022 notification :

Download 

सीटेट रजिस्ट्रेशन 2022 के मुख्य बिंदु(CTET registration 2022 important points)

  • सीटेट 2022 का ऑनलाइन आवेदन भरने के लिए आवेदन के पास मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी होना आवश्यक है।
  • सीटेट 2022 का आवेदन पत्र भरने के बाद ई चालान का प्रति अपने पास रखें।
  • सीटेट 2022 का एप्लीकेशन फॉर्म में किसी प्रकार की सुधार करने के लिए सीबीएसई की ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं।
  • सीटेट 2022 के एप्लीकेशन फॉर्म की भुगतान की राशि वापस नहीं किया जाएगा।

सीटेट रजिस्ट्रेशन फॉर्म डॉक्युमेंट(CTET 2022 registration form document list)

सीटेट 2022 का रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने हेतु आपको कुछ डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होती है। जिससे कि आप सीटेट 2022 का एप्लीकेशन फॉर्म भरने में सहयोग करेगा जो नीचे महत्वपूर्ण दस्तावेज की सूची दर्शाया गया है।

  • मोबाइल नंबर
  • ईमेल आईडी
  • फोटो
  • पहचान पत्र
  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • कक्षा दसवीं का मार्कशीट
  • कक्षा बारहवीं का मार्कशीट
  • डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड
  • D.el.ed सर्टिफिकेट

सीटीईटी एप्लीकेशन फॉर्म डॉक्युमेंट साइज( CTET application form document size)

IMAGE

Dimensions

Size

पासपोर्ट फोटो

3.5 cm (W) x 4.5 cm (L)

10 kb से 100 kb तक

आवेदक का हस्ताक्षर

3.5 cm (W) x 1.5 cm (L)

3 kb से 30 kb तक

,

CTET Application 2022 form date |  CTET 2022 application form date in Hindi 

गतिविधि

दिसंबर 2022 सत्र (संभावित)

CTET Application 2022 form Start Date

Soon

CTET Application 2022 form Last Date 

Soon

CTET Application हेतु भुगतान करने की अंतिम तिथि

Soon

सीटेट 2022 एप्लीकेशन फॉर्म में सुधार की सुविधा

Soon

सीटेट 2022 एडमिट कार्ड जारी करने की तिथि

Soon

सीटेट 2022 परीक्षा तिथि

Soon

CTET application form fee 

Category

Paper-1 या Paper-2

Both of (Paper-1 और Paper-2)

Gen/OBC(नॉनक्रीमी लेयर)

1,000

1,200

SC/ST/दिव्यांगजन

500

600

 

CTET Notification 2022 in Hindi | CTET 2022 notification in Hindi

CTET Notification 2022 in Hindi : सीबीएसई ने सीटेट 2022 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है जाने कब और कहां और कैसे आवेदन किया जाएगा।

CTET Notification 2022 in Hindi

सीबीएसई न्यू दिल्ली शुक्रवार 15 जुलाई 2022 को सीटेट का नोटिफिकेशन जारी किया है जिसमें केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन समिति के माध्यम से दिसंबर माह में होगा जिसका आवेदन की प्रक्रिया बहुत जल्द शुरू होने वाला है तो चली नीचे जानते हैं कि कैसे सीटेट का फॉर्म और कहां से भरा जाएगा।

CTET 2022 Application Form in Hindi -Check Exam Pattern, Syllabus, Eligibility & Application Fee & Dates

सीटेट दिसंबर 2022 नोटिफिकेशन

 

 CTET 2022 notification in Hindi :सीटेट दिसंबर 2022 का नोटिफिकेशन 15 जुलाई 2022 शाम को जारी किया था जिसमें कि केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन सीबीटी मोड में लिया जाएगा 6 दिसंबर 2022 का नोटिफिकेशन को डाउनलोड करना चाहते हैं तो उसी टेट के ऑफिशल वेबसाइट ctet.nic.in 2022 registration form पर जारी किया गया है जहां से आप सीटीईटी ऑफिशल नोटिफिकेशन डाउनलोड कर सकते हैं।

CTET Result Release Date 2021-22: सीटेट का रिजल्ट चेक कैसे कर सकते हैं ?

कब से शुरू होंगे दिसंबर 2022 का आवेदन |

CTET 2022 application form date

 CTET  online form 2022 : हालांकि अभी तक सीबीएसई बोर्ड ने तिथि निर्धारित नहीं किया है कि कब सीटेट की परीक्षा का आयोजन किया जाना है लेकिन यह साफ कर दिया है कि टिकट 2022 का आयोजन दिसंबर 2022 में ही होगा एल। जिसका आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन किया जाएगा नीचे आपको कुछ सीटेट फॉर्म से रिलेटेड महत्वपूर्ण जानकारियां दिया जा रहा है इसे ध्यान पूर्वक पढ़ ले।

सीटेट 2022 एप्लीकेशन फी

General/OBC

सीटेट 2022 में एप्लीकेशन फी पिछले बार के जैसा ही है पेपर वन और पेपर 2 के लिए ₹1000 या अगर आप दोनों पेपर भर रहे हैं। तो 1200 लिया जाएगा वहीं अगर आप अलग-अलग पेपर का फॉर्म भर रहे हैं तो आपसे ₹1000 पेपर लगेगा

sc-st दिव्यांग वर्ग के लिए एप्लीकेशन की

पेपर वन और पेपर 2 के लिए ₹500 लिया जाएगा अगर आप दोनों पर पर के लिए भर रहे हैं तो ₹600 fee लगेगा।

सीबीएसई द्वारा सीटेट की परीक्षा साल में दो बार आयोजित करवाया जाता है लेकिन किसी कारणवश किसी वर्ष एक बार ही आयोजित होता है लेकिन सीबीएसई द्वारा जारी किया गया है की परीक्षाएं और दिसंबर में आयोजित किया जाना होता है।

सीटेट परीक्षा के पेपर 1 में भाग लेते हैं अगर वह सफल अभ्यर्थी होते हैं तो वह कक्षा एक से कक्षा 5 तक के लिए शिक्षक भर्ती में फॉर्म भर सकते हैं वहीं अगर तू में बैठते हैं अगर सफल हो जाते हैं तो वह छह से आठवीं तक के शिक्षक भर्ती के लिए योग माने जाते हैं।

CTET form date 2022 in Hindi

पिछले वर्ष के दिसंबर 2021 की जो परीक्षा हुई थी उसमें सीटेट पेपर वन और पेपर टू में कुल मिलाकर 2773676 अभ्यर्थी परीक्षा में भाग लिए थे। जिसमें कि 665536 विद्यार्थी परीक्षा में पास हुए थे।

Weather Update Today July 2022 | Weather News in hindi

वैसे तो सीटेट की मान्यता 7 साल के जगह पर आजीवन कर दिया गया है अगर अभ्यार्थी सीटेट पास करते हैं तो वह राज्य सरकार की स्कूल केंद्रीय विद्यालय नवोदय विद्यालय आर्मी स्कूल के शिक्षक पदों पर आवेदन करने के लिए योग हो जाते हैं।

सीटेट परीक्षा में बैठने वाले छात्र को न्यूनतम अंक के बारे में पता होना चाहिए सामान्य वर्ग के छात्र के लिए 60% न्यूनतम मार्क लाना आवश्यक है वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति के लिए न्यूनतम 55 परसेंट होना आवश्यक है।

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