Indus Valley Civilization PDF NCERT

Asian history

प्राचीन भारत का इतिहास (Indus valley civilization)

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सिंधु घाटी की सभ्यता

  • हड़प्पा उपमहाद्वीप के सबसे पुराने नगरों में से एक था जो सिंधु नदी के तट पर खोज जाने वाला पहला नगर था चुकी या सिंधु नदी के तट पर फला- फूला इसलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम दिया गया है।
  • शोधकर्ताओं का मानना था कि सरस्वती नदी भी कभी यहां बहती थी लेकिन बाद में यह लुप्त हो गए इसी कारण इस सभ्यता को सिंधु सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जाना जाना लगा।
    हड़प्पा के खंडहरों का वर्णन सबसे पहले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक और आविष्कारक चाल में सन ने अपनी पुस्तक में लिखा था कि उसने हड़प्पा नगर की खोज उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत में की थी जो अब पाकिस्तान में स्थित है।
    1856 ईस्वी में इंजीनियरों ने लाहौर को कराची से जोड़ने वाला एक रेलवे लाइन बिछाई जो ने और जली हुई एट मिला उनके महत्व को समझे बिना उन्होंने रेल मार्ग बचाने के लिए ईटों का उपयोग किया था।
  • 1920 के दशक में पुरातत्व वेदों ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नगर की खुदाई शुरू की जिसमें लंबे समय से अज्ञात नगरों का अवशेष का पता लगा।
  • 1924 ईस्वी में भारतीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के बीच कई सामान्य विशेषता पाए जिसमें उन्होंने निष्कर्ष निकला कि वह एक बड़ी सभ्यता का हिस्सा था।
  • कुछ मामूली अंतर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की मिट्टी के बर्तनों में पाए गए इसमें शोधकर्ताओं निष्कर्ष निकला कि हड़प्पा मोहनजोदड़ो से पुराना था मोहनजोदड़ो ने पुरातत्व स्थल को 1980 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित कर दिया गया।

सिंधु सभ्यता का समय कब से कब तक था?

  • भौगोलिकसीमा : दक्षिणएशिया
  • काल : कांस्य युग
  • समय : 3500 से 1900 ईसा पूर्व
  • क्षेत्र : 13 लाख वर्ग किलोमीटर
  • नगर : 6 बड़ेनगर
  • गांव : 200 से अधिक

यह सभ्यता कांस्य युग की पूर्व की है क्योंकि इसमें कांस्य युग से बनी वस्तुओं का उपयोग किया जाता था हड़प्पा सभ्यता को निम्नलिखित कर्म से नगरीय सभ्यता भी कहा जाता है।

  • सुनियोजित नगरी व्यवस्था
  • आश्चर्यजनक निर्माण और वास्तुकल
  • स्वच्छता एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता
  • मानकीकृत भार मापन
  • ठोस कृषि और शिल्पकार आधार

हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल

  • हड़प्पा रवि के तट पर पंजाब के साहिवाल जिले में स्थित है इसकी खुदाई 1921 ईस्वी में किया गया था।
  • मोहनजोदड़ो सिंधु घाटी के तट पर सिंधु के लड़का ना जिले में स्थित है इसकी खुदाई 1922 ईस्वी में किया गया था।
  • अमरी बलूचिस्तान के पास सिंधु नदी के तट पर स्थित है इसकी खुदाई 1935 ईस्वी में किया गया था।
  • लोथल गुजरात में खंभात की खाड़ी के पास भगवान नदी पर स्थित है इसकी खुदाई 1953 ईस्वी में की गई थी यह गोदी के लिए जाना जाता है।
  • धोलावीरा गुजरात में कच्छ के रण में स्थित है इसकी खुदाई 1985 ईस्वी में किया गया था।
  • कालीबंगा राजस्थान में घाघरा नदी के तट पर स्थित है इसकी खुदाई 1953 ईस्वी में किया गया था।
  • मंडा चुनाव नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है इसकी खुदाई 1976 से लेकर 1977 ई के बीच किया गया था।
  • को दीजिए पाकिस्तान में सिंधु नदी के तट पर स्थित है इसकी खुदाई 1955 और 1957 ईस्वी में की गई थी।
  • चन्हूदो सिंधु नदी पाकिस्तान में स्थित है या 1931 ईस्वी में खुदाई की गई थी यह एक मनका कारखाने के लिए प्रसिद्ध थे।

हड़प्पा सभ्यता की अनूठीविशेषताएं
Unique feature of Harappan civilization

नगर नियोजन

  • नगर नियोजन सिंधु सभ्यता की एक अनोखी विशेषता है हड़प्पा नगर के दो नियोजित क्षेत्र थे अन्य सभी नगर जहां हड़प्पा के शासन भवन पाए गए थे उन्हें हड़प्पा के प्रारूप के रूप में वर्णित किया गया था इन नगरों को दो या दो से अधिक भागों में बांटा गया।
  • ऊपरी नगर गढ़ पश्चिम का भाग जो छोटा लेकिन ऊंचा था गढ़ कहलाता था इसका उपयोग प्रशंसकों द्वारा किया गया था
  • निकला नगर पूर्व का हिस्सा बड़ा था लेकिन निचला हिस्सा निकला नगर कहा जाता था जहां आम लोग का निवास था।
  • प्रत्येक भाग के चारों ओर पकी हुई आईटी की दीवार बनाई गई थी इतनी अच्छी तरह से पक्की हुई थी कि वह हजारों वर्ष तक चली है ईटों को एक इंटरलॉकिंग प्रतिरूप में रखा गया था और इसे दीवारों को मजबूत हो गई कृपया ध्यान दें की पकी हुई ईटों का उपयोग किया गया था क्योंकि यह मजबूत और कठोर टिकाऊ और आज पानी या बारिश के प्रतिरोधी होते थे।
  • कुछ नगरों में गढ़ पर विशेष भावनाओं का निर्माण किया गया था उदाहरण के लिए मोहनजोदड़ो में इस क्षेत्र में एक बहुत ही विशेष तालाब जिसे पुरातत्व महान स्नानागार कहते हैं बनाया गया था मोहनजोदड़ो हड़प्पा और लोथल जैसे कुछ नगरों में विस्तृत भंडार गिरी भी थे।
    अन्य सर्वोदय से कालीबंगा और लोथल में अग्निबेड़ियों थी जहां यज्ञ और कर्मकांड किए जाते थे।
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