शिक्षण का अर्थ और परिभाषा क्या है ? Shikshan Kya hai

EVS ctet notes in hindi

शिक्षण क्या है ? Shikshan Kya hai?

शिक्षण का प्रकार

  1. औपचारिक शिक्षण
  2. अनौपचारिक शिक्षण 
  3. निरौपचारिक शिक्षण
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औपचारिक शिक्षण 

निश्चित उद्देश्य पूर्ण

  •   समय
  •  अस्थान
  •  पाठ्यक्रम
  •  विषय वस्तु विशेषज्ञ

औपचारिक शिक्षण : 

Aupcharik Shikshan kya hai ?

यहां शिक्षन का एक प्रकार है जिसमें पहले उद्देश्य का निर्धारण करके निश्चित दशाओं के आधार पर व्यवहार परिवर्तन किया जाता है।

  •  इसमें निश्चित समय निश्चित स्थान, निश्चित पाठ्यक्रम, निश्चित विषय विशेषज्ञ के माध्यम से शिक्षा प्रदान किया जाता है जैसे स्कूली शिक्षा

अनौपचारिक शिक्षण : 

Anopcharik Shikshan kya hai ?

  • यह शिक्षण का वह प्रकार है जो स्वाभाविक परिस्थितियों में सीखा जाता है
  • या शिक्षण का वह प्रकार है जिससे बालक जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत तक सीखता रहता है।

Ex – परिवार में सीखना , समाज में सीखना , समुदाय में सीखना

निरौपचारिक शिक्षण :

Niropcharik Shikshan kya hai ?

  • या शिक्षण का वह प्रकार है जो औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा का मिश्रण होता है।
  • जिसमें औपचारिक शिक्षण की कुछ विशेषताएं शामिल होती है जबकि इसमें कुछ अनौपचारिक शिक्षा की विशेषताएं शामिल होती है।
  • इसमें निश्चित समय एवं पाठ्यक्रम की  बाध्यता  होती है। परंतु निश्चित स्थान और विषय विशेषज्ञ की बाध्यता नहीं होती है।

Ex –  पत्राचार के माध्यम से सीखना है।

 

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शिक्षण का अर्थ meaning of teaching in Hindi

शिक्षण एक प्रकार का सामाजिक प्रक्रिया है जिसका मतलब होता है सिखाना वैसे तो उस शिक्षण को अंग्रेजी भाषा में टीचिंग कहा जाता है। शिक्षण एक प्रकार का त्रियामी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक छात्र और पाठ्यक्रम आता है जिसको हम कर सकते हैं शिक्षक और शिक्षार्थी के बीच विचारों का आदान प्रदान करना करना।

शिक्षण की परिभाषा क्या है
Definition of teaching in Hindi

 

HC मोरिसन मॉरिसन के द्वारा शिक्षण का परिभाषा इस प्रकार दिया गया है कि शिक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें समझदार व्यक्ति और कम समझदार व्यक्ति के संपर्क में आता है। तो कम समझदार व्यक्ति के अग्रिम शिक्षा के लिए विकसित व्यक्ति की अवस्था करता है।

स्किनर के अनुसार

स्किनर के अनुसार शिक्षा पुनर्बलन की अकस्मिताओ का क्रम है।

बटन के अनुसार शिक्षण की परिभाषा

बटन के अनुसार शिक्षण की परिभाषा है कि शिक्षण बच्चों को सीखने के लिए दी जाने वाली प्रेरणा निर्देशन निर्देशन एवं प्रोत्साहन है जिसे हम बटन के अनुसार शिक्षण की परिभाषा कर सकते हैं।

रायबर्न के अनुसार शिक्षण की परिभाषा

शिक्षा को विद्यार्थी एवं पाठ्यवस्तु इन तीनों के बीच संबंध स्थापित करना ही शिक्षण कहलाता है या यह शिक्षक बालक एवं पाठ्यवस्तु हैं के बीच बालक की शक्तियों का विकास में सहायता प्रदान करना ही रायवर्न की परिभाषा है।

शिक्षण का प्रकार। शिक्षण कितने प्रकार के हैं
What types of teaching

शिक्षण का निम्नलिखित प्रकार दिया गया है जो नीचे में विस्तार से बताया गया है।

उद्देश्यों के आधार पर शिक्षण का तीन प्रकार है।

ज्ञानात्मक शिक्षण : ज्ञानात्मक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि जान समाज प्रयोग विश्लेषण संश्लेषण और मूल्यांकन इत्यादि को विकास करना होता है।

भावात्मक शिक्षण : भावात्मक शिक्षण उसे कहते हैं जिसमें भावात्मक एवं संवेगात्मक शक्तियों एवं व्यवहारों को उन्नयन पर मार्जन आदि की प्रक्रिया हो।

क्रियात्मक शिक्षण : क्रियात्मक शिक्षण में यह ध्यान दिया जाता है कि किसी कौशल्या किसी कार्य को करने की विशिष्ट विधि प्रदान की जाने पर बल दिया जाता है।

शिक्षण की क्रिया की दृष्टि से अनेक प्रकार होता है लेकिन मुख्यतः तीन प्रकार ही माना गया है या कर सकते हैं।

बतलाना : इस शिक्षण में बच्चों को किसी विषय वस्तु के बारे में बताना

दिखाना या प्रदर्शन करना : किसी भी कार्य को दूसरे के सामने प्रदर्शन करना या दिखाना।

कार्य करना : इस शिक्षण में कौशलों एवं क्रियात्मक पक्ष को विकास की प्रमुखता दी जाती है।

शिक्षण के स्तरों की दृष्टि से शिक्षण के तीन प्रकार हैं

समिति स्तर पर शिक्षण: अस्मिता स्तर पर शिक्षण केवल यह प्रयास करता है कि दी गई सूचना को याद रख सके।

बोध स्तर पर शिक्षण: बौद्ध स्तर पर शिक्षण केवल किसी तत्व को याद ना रखे जाएं लेकिन उसे अच्छी तरह से समझ लिया जाए।

चिंता न स्तर पर शिक्षण: इस शिक्षण में रखने या समझने तक ही सीमित नहीं है लेकिन इसमें या बताया जाता है कि बच्चों में जिज्ञासा रुचि अनुसंधान ढेर आदि का विकास हो जिससे किसी समस्या को वैज्ञानिक के नजरिया से समझा जा सके।

शिक्षण की प्रकृति

  • शिक्षण एक अंतः क्रिया है
  • शिक्षण कला तथा विज्ञान की देन है।
  • शिक्षण एक प्रकार का विकासात्मक प्रक्रिया है जिसमें बालकों का ज्ञानात्मक भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्षों का विकास होता है।
  • शिक्षण एक प्रकार का सतत प्रक्रिया है जिसमें निरंतर चलते रहता है वैसे तो इसका 3 पक्ष होता है क्रिया, शिक्षण एवं मूल्यांकन।
  • शिक्षण एक प्रकार का निर्देशन की प्रक्रिया है जिसमें छात्रों की योग्यता के अनुसार उनका विकास करने की प्रयास किया जाता है।
  • शिक्षण एक त्रिविमीय प्रक्रिया है जिसमें शिक्षण उद्देश शिक्षण के अनुभव तथा व्यवहार परिवर्तन होता है।
  • शिक्षा मीका स्वदेश प्रक्रिया
  • शिक्षण एक प्रकार का सामाजिक और व्यवसायिक पर एक रिया हैं।
  • शिक्षण का मापन किया जा सकता है ।
  • शिक्षण एक प्रकार का विज्ञान है जिसमें कौशल पक्ष कला पक्ष इत्यादि को दर्शाया जाता है।

शिक्षण का कार्य

  • कक्षा को संगठित व्यवस्थित करना।
  • अधिगम का निर्माण करना।
  • विषय वस्तु और कार्य का विश्लेषण आसानी पूर्वक करना।
  • सीखने के लिए विद्यार्थियों को अग्रेषित करना।
  • छात्रों को व्यक्तिगत भिन्नता ओं की ज्ञान प्रदान करना।
  • छात्रों को अधिगम की समस्याओं से निदान या छुटकारा प्राप्त। छात्रों के प्रारंभिक व्यवहार को समझ जाना।
  • बच्चों के लिए पाठ्यक्रम सामग्री तैयार करना
  • बच्चों का मूल्यांकन करना।

शिक्षण की विशेषताएं pdf

  • शिक्षा का अस्पष्ट और निश्चित लक्ष्य रखा जाता है।
  • शिक्षा के प्रकार का सुझाव आत्मक होता है।
  • शिक्षा प्रगतिशील होता है।
  • शिक्षण सहयोगात्मक है।
  • शिक्षण छात्रों की क्षमता एवं वातावरण को अनुकूल बनाना।
  • शिक्षण छात्रों के लिए ध्यान केंद्रित करना।
  • शिक्षा बच्चों को पूर्व ज्ञान के आधार पर नया ज्ञान प्रदान करना।

बच्चे कैसे सीखते है ? चिंतन का मतलब क्या होता है?

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2 thoughts on “शिक्षण का अर्थ और परिभाषा क्या है ? Shikshan Kya hai”

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