1857 ka vidroh notes in hindi

1857 की विद्रोह (1857 ka vidroh) के कारण सामाजिक धार्मिक आर्थिक और सैनिक कारण –1857 ka vidroh notes in hindi pdf

1857 की क्रांति Notes in Hindi | 1857 का विद्रोह का विवरण | 1857 ka vidroh notes in hindi

1857 ki Kranti in Hindi pdf free download : 1857 के विद्रोह को भारतीय विद्रोह सिपाही विद्रोह या प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नाम से भी जाना जाता है 10 में 1857 से 8 जुलाई 1859 तक यह विद्रोह हुआ था 1857 ka vidroh के मुख्य केंद्र था आगरा दिल्ली भारत कानपुर लखनऊ अवध था । 1857 के विद्रोह भारत की सिपहिया किसान वर्ग सैनिक और मुगल के द्वारा विद्रोह किया गया था।

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1857 ka vidroh notes in hindi pdf

1857 ka vidroh notes in hindi pdf : 1857 ई के प्लासी के युद्ध के पश्चात भारत में अंग्रेज साम्राज्य की स्थापना हुई जिसके 100 वर्ष बाद 1857 ई तक ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्य उद्देश्य साम्राज्य विस्तार करना अर्थात इस आर्थिक शोषण यानी की विजय विलय और शोषण का इतिहास भी कर सकते हैं डलहौजी का व्यापक गत का सिद्धांत राज्यों को हड़पने की नीति सहायक संधियों सैनिक वर्ग को समुद्र पार भेजना, चर्बी वाले कारतूस का उपयोग करना, भारतीयों के धर्म पर आघात करना भारत में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों जैसे की सती प्रथा विधवा विवाह बाल विवाह शिशु हत्या आदि पर प्रतिबंध लगाना साथ ही साथ हस्तक्षेप करना अर्थव्यवस्था के मामले में दखल देना सबसे बड़ा अभिशाप था आर्थिक शोषण करके ही अंग्रेज भारत का धन इंग्लैंड ले जाते थे ईस्ट इंडिया कंपनी के राजनीतिक शक्ति का उपयोग से भारतीय हस्तशिल्प और व्यापार सूती वस्त्रो का सर्वनाश कर दिया नवीन कौर व्यवस्था लागू करना साथ ही धन के दोहन का कार्य चलता रहा अंग्रेजों ने धार्मिक मामले में भी हस्तक्षेप किया जिसमें ईसाई धर्म को सर्वोपरि माना और इसी प्रचार प्रचार हेतु अधिक से अधिक लोगों को इसी बनाया गया इन सभी कर्म के चलते असंतोष पैदा हो रहा था जिसके चलते 1857 ई आते-आते विद्रोह का शंखनाद हो गया।

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1857 के विद्रोह को भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है जो भारत में इंग्लैंड के ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक प्रकार का आंदोलन जो असफल रहा जिसे बाद में ब्रिटिश राज की ओर से एक संप्रभु शक्ति के रूप में कार्य किया था।

1857 का विद्रोह

1857 का विद्रोह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ भारतीयों के द्वारा लड़ा गया युद्ध था।
यह विद्रोह भारतीय सिपाहियों के द्वारा किया गया था जो बाद में जनता की भागीदारी हासिल कर लिया गया यह विद्रोह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ था।
1857 के विद्रोह को कई नाम से जाना जाता है जिसे हम सिपाही विद्रोह भारतीय विद्रोह महान विद्रोह 1857 की विद्रोह भारतीय विद्रोह और स्वतंत्रता का पहला युद्ध के नाम से भी जानते हैं।

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1857 के विद्रोह के कारण

1857 के विद्रोह के कारण राजनीतिक कारण सामाजिक और धार्मिक कारण आर्थिक कारण सैन्य कारण और तात्कालिक कारण इत्यादि नाम से जाना जाता है।

1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण

  • 1857 के विद्रोह को राजनीतिक कारण के नाम से जाना जाता है क्योंकि अंग्रेज के विस्तारवादी नीति के द्वारा 1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण था जिसे अंग्रेजों के द्वारा विस्तारवादी नीति और व्यापारगत के सिद्धांत के नाम से भी जानते हैं।
  • अंग्रेजों द्वारा भारत के बड़ी संख्या में शासको और प्रमुखों को हटा दिया गया जिससे भारत में अन्य सट्टा रोड परिवारों के मन में ढेर सारे भाई पैदा होने लगे जिसके कारण भारतीयों के अंदर असंतोष पैदा होने लगे।
  • जिसमें से की रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को सिंहासन पर नाम बैठने देने की अनुमति देना।
  • डलहौजी के द्वारा दिया गया व्यपगत सिद्धांत था कि किसी भी राजा के दस्तक पुत्र गोद लिया गया पुत्र या किसी शासन के निशान होने पर गोद लिया गया पुत्र का अधिकार नहीं हो सकता है अतः शासन के मृत्यु होने के पश्चात वह राज कंपनी के अधीन हो जाएगा।
  • 1857 के विद्रोह में लॉर्ड डलहौजी के द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन अवध राज को अधीन कर लिया गया जिसमें अभिजात वर्ग के हजारों लोग अधिकारी और सैनिक बेरोजगार हो गए जिसके चलते अवध में असंतोष पैदा होने लगे।

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डलहौजी के व्यपगत का सिद्धांत

डलहौजी के व्यपगत सिद्धांत का अर्थ है कि किसी भी शासन के संतान न होने पर उसका उत्तराधिकारी गोद लिया गया है तो शासन के मरने के पश्चात उसका अधिकार नहीं होगा आता उसे राज्य पर कंपनी का कब्जा हो जाएगा या ब्रिटिश राज्य स्थापित हो जाएगा।

1857 के विद्रोह का सामाजिक और धार्मिक कारण

1857 के विद्रोह का सामाजिक और धार्मिक कारण ढेर सारे हैं जो निर्माता बताया गया है।

  • भारत में कंपनी के शासन का विस्तार होना और साथ ही साथ अंग्रेजों के द्वारा भारतीयों पर अमानुषित व्यवहार करना।
  • भारत में पश्चिमी सभ्यता तेजी से फैल रहा था जिसकी आबादी का एक बड़ा वर्ग चिंतित था।
  • अंग्रेजों के रहन-सहन व्यवहार और उद्योग आविष्कार जिसका असर भारत के संस्कृत सभ्यताओं के मान्यताओं पर पड़ रहा था।
  • 1850 ईस्वी में एकाद अधिनियम पारित किया गया था जिसमें मनसा अनुक्रम के हिंदू कानून को बदल दिया गया।
    भारत में जो भी नागरिक ईसाई धर्म अपना लेता था उनका पदोन्नति कर दिया जाता था। जिससे भारतीय को लगा कि यह हमारे धर्म के साथ अन्य कर रहा है। साथ ही साथ जो ईसाई धर्म नहीं अपनाता था उनको सभी प्रकार से अपमानित किया जाता था। जिससे लगा कि अंग्रेज हमारे साथ ईसाई धर्म में परिवर्तन करना चाह रहा है।वैसे तो अंग्रेजों द्वारा ढेर सारे बढ़िया काम भी किया गया जैसे की सती प्रथा कन्या भ्रूण हत्या जैसी प्रथाओं को समाप्त करना और विधवा पुनर्विवाह को हटाना जो सामाजिक संरचना के लिए खतरा माना गया।
  • यह भी माना जाता है कि रेलवे और टेलीग्राफ की शुरुआत पर भी भारतीय जनता ने संदेह की दृष्टि से देखा गया।

1857 के विद्रोह का आर्थिक कारण

अंग्रेजों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में किस जमींदार पर भारी भर काम लगन और वसूली के सख्त तौर तरीके

  • महाजनों से अधिक संख्या में लोग कर्ज लिए थे जिसको चुकाने में असमर्थ थे जिसके कारण किसानों के पुराने जमीन हद से जा रहे थे जिसके चलते जानते में असंतोष पैदा होने लगे।
  • वैसे तो बड़ी संख्या में किसान वर्ग के लोग हैं सिपाही थे जो अपने परिवार गांव को छोड़कर आए हुए थे जिसके कारण किसानों का गुस्सा जल्द ही सिपहिया के अंदर फैल गया इसके चलते 1857 का विद्रोह हुए।
  • भारत में कपड़ा उद्योग को बर्बाद करने का मुख्य कारण था इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के बाद ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं को भारत में घुसने देना।
  • जिसके कारण भारतीय हस्तकला उद्योग पूर्ण रूप से खत्म हो गया क्योंकि ब्रिटेन में मशीनों के द्वारा बनाए गए वस्तुओं के दाम बहुत कम थे और भारतीय हस्तकलाप के दम ज्यादा होने के कारण।

1857 के विद्रोह का सैन्य कारण

  • 1857 के विद्रोह एक सिपाही विद्रोह के रूप में शुरू हुआ था
  • सिपाही विद्रोह का मुख्य कारण था कि ब्रिटिश सैनिक भी जिस श्रेणी में काम कर रहे थे उसे श्रेणी में भारतीय सिपाही भी काम कर रहे थे लेकिन ब्रिटिश सैनिक को ज्यादा वेतन दिया जा रहा था वही उसी श्रेणी के भारतीय सिपाहियों को कम वेतन भुगतान किया जा रहा था जिसका मुख्य कारण था 1857 का विद्रोह होना।
  • लॉर्ड कैनिंग के द्वारा 1856 ईस्वी में एक नया फरमान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि जो भी व्यक्ति कंपनी के सेवा में भर्ती होगा उन्हें जरूरत पड़ने पर समुद्र के पर भी जाना है।

लॉर्ड कैनिंग के बारे में

  • लॉर्ड चार्ल्स जॉन कैनिंग 1857 की भारतीय विद्रोह के दौरान भारतीय राजनेता और गवर्नर जनरल थे जिसे 1858 में भारत का पहला वायसराय बनाया गया। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह को पूर्ण रूप से दबाने में सक्षम हुए थे जिनके कारण उन्हें भारत के पहले वायसराय बनाया गया। लोड कैनिंग के द्वारा भारतीय परिषद अधिनियम 1861 पारित करना। भारत में लॉर्ड कैनिंग के द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता का परिचय भी दिया।

1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण

1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण निम्नलिखित है जिनके जानकर आपको बहुत ही हैरान वाली बात समझ में आएगी क्योंकि 1857 का विद्रोह भारत के कुछ ही हिस्सों में हुए थे।

  • 1857 के विद्रोह मियां फैल गया था कि एनफील्ड रायफलों के कारतूस में गए और सूअर के चर्बी का उपयोग किया गया है जिसके चलते सिपाहियों में आक्रोश फैल गया क्योंकि सिपाहियों के द्वारा रायफलों को लोड करने के लिए अपने मुंह से खोलना पड़ता था क्योंकि उन सिपाहियों में हिंदू और मुस्लिम दोनों थे और वह दोनों गए और सूअर के चर्बियों का उपयोग किया गया कारतूसों का मुंह से खोलना पड़ता था जिसके कारण हिंदू और मुस्लिम दोनों सिपाहियों ने उपयोग करने से मना कर दिया।
  • लेकिन सिपाहियों के द्वारा किया गया इंकार से लॉर्ड कैनिंग के द्वारा इस गलती के लिए संशोधन किया गया कि इस कारतूस को वापस ले लिया जाए इसकी आवाज में दूसरे रूप में लिया गया कारतूस लाया जाए लेकिन इसके चलते तो कई जगह पर अशांति फैल चुके थे।
  • मंगल पांडे के द्वारा मार्च 1857 में नई राइफल का उपयोग करने से मना करना और वरिष्ठ अधिकारियों पर हमला करना। जिसके चलते मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 ई को फांसी दे दिया गया।
  • सैनिकों के बीच 9 में 1857 को 85 भारतीय सैनिक द्वारा एनफील्ड रायफलों का उपयोग करने से मन कर दिया आज और अंग्रेजों द्वारा मना करने वाले सैनिकों को 10 10 वर्ष की सजा सुना दिए जिसके चलते भारत में 1857 का विद्रोह हुआ था।

1857 का विद्रोह के केंद्र

1857 का विद्रोह का केंद्र कानपुर लखनऊ बरेली झांसी ग्वालियर बिहार के आरा जिला यह सारे केंद्र 1857 के विद्रोह का मुख्य केंद्र माना जाता था।

  • लखनऊ: लखनऊ अवध की राजधानी थी जिसके राजाओं को अंग्रेज द्वारा अंदर कर देने के आवाज में उनके बेगम हजरत महल द्वारा विद्रोह किया गया। बाद में ऐसे लखनऊ में बेगम हजरत महल द्वारा विद्रोह का नेतृत्व भी किया गया।
  • कानपुर: कानपुर में पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब के द्वारा यह विद्रोह का नेतृत्व किए थे। कानपुर में नाना साहब के द्वारा किए गए विद्रोह को सर कॉलिंग कैंप बेल के द्वारा दबाया गया।
  • झांसी : झांसी में झांसी की रानी द्वारा विद्रोह का नेतृत्व किया गया था और नाना साहब को सेनापति बनाया गया और तात्या टोपे के साथ मिलकर ग्वालियर तक विद्रोह किया गया जिसके बाद अंग्रेजों सेनन द्वारा कब्जा कर लिया गया। झांसी में जनरल हीरोज द्वारा विद्रोह को दबाया गया
  • बिहार : बिहार में विद्रोह का नेतृत्व वीर कुंवर सिंह और उनके भाई के द्वारा जगदीशपुर से शुरू हुआ था। बाद में विलियम टेलर द्वारा विद्रोह को दबा दिया गया।

1857 का विद्रोह की असफलताओं का कारण

  • 1857 का विद्रोह किया असफलताओं के कारण था कि देश में व्यापक विद्रोह तो हो चुका था लेकिन उनका बागडोर कोई से मारने वाला नहीं था जिनके कारण इस विद्रोह में असफलता हाथ लगे तो इन्हीं को हम विस्तार रूप से जानने की कोशिश करते हैं।
  • 1857 के विद्रोह तो वैसे तो काफी व्यापक था लेकिन 1857 ka vidroh देश के बड़े हिस्सों में से कुछ ही हिस्सों में विद्रोह हुआ था जैसे की सिंह राजपूताना कश्मीर पंजाब के अधिकांश भाग आवाज झांसी कानपुर इत्यादि जगहों पर तो विद्रोह हुआ लेकिन कुछ बड़ी रियासत जैसे हैदराबाद मैसूर त्रवंकोर और कश्मीर के राजपूताना के लोग 1857 के विद्रोह में शामिल नहीं हुए थे और साथ ही साथ दक्षिण प्रांत में जितने भी राजा महाराजा थे वह 1857 के विद्रोह में भाग नहीं लिए जिनके कारण 1857 के विद्रोह को असफलता मिली जिसे बाद में 1857 के विद्रोह को सफलता के विद्रोह के नाम से भी जानते हैं।
  • भारत के मध्यम वर्ग की भागीदारी न होना जो 1857 के विद्रोह का सफलता का मुख्य कारण थे जिनमें अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त वर्ग मध्यम वर्ग बंगाल के अमीर व्यापारी और जमींदारों ने 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों की मदद किए थे जिनके कारण 1857 ka vidroh को असफलता हाथ लगी यह सभी 1857 ka vidroh का मुख्य असफलताओं के कारण।

1857 के विद्रोह का परिणाम

  • 1857 के विद्रोह का मुख्य परिणाम था कि भारत में ब्रिटिश कंपनियों का शासन का अंत होना साथ ही साथ ब्रिटिश राज्य का प्रत्यक्ष शासन होना।
  • भारत के इतिहासकार द्वारा 1857 के विद्रोह को महान विद्रोह के रूप में प्रदर्शित किए हैं जिनका मुख्य कारण था कि भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत होना।
  • भारत में ब्रिटिश राज्य द्वारा शासन की जिम्मेदारी सीधी अपने हाथ में लेने की घोषणा करना साथ ही साथ भारत में विभिन्न राज्यों में वायसराय घोषित करना। ब्रिटेन के महारानी विक्टोरिया ने भारतीय प्रशासन को अपने हाथ में ले लिया जिसका प्रभाव ब्रिटिश संसद पर भी पड़ा।
  • अंग्रेज द्वारा भारत के लोगों के ऊपर धर्म और सामाजिक रीति रिवाज और परंपराओं का सम्मान किया जाएगा।
  • भारत में भारतीय शासको का अधिकार का मान्यता दिया गया साथ ही साथ भारतीय रियासतों के दस्तक पुत्रों को सपना की छूट किया गया और व्यापक सिद्धांत को समाप्त कर दिया गया।

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