लार्ड वेलेजली की सहायक संधि PDF | सहायक संधि की विशेषताएं
सहायक संधि : सहायक संधि के द्वारा भारतीय रियासतों के साथ और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच एक संधि हुई थी जिसका नाम सहायक संधि रखा गया जिसका मकसद है कि अंग्रेजी हुकूमत का विस्तार इसके गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली थे इस संधि के भारत के कोई भी राज्य ब्रिटिश सी का सहायता लगी तो उसके बदले में उसे पैसे देने होंगे इसके बदले में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा भारतीय शासको की सुरक्षा प्रदान करना था।। अगर कोई भी भारतीय शासक ब्रिटिश सी को पैसे देने में असफल होते थे तो उनका राज्य छीन लिया जाता था या उसे राज्य का कोई भी छोटा हिस्सा अंग्रेजों को दे दिया जाना था। सहायक संधि में रहते हैं एक शर्त यह भी था कि कोई भी भारी शक्ति के साथ भारतीय शासक व्यापार नहीं कर सकते थे। लार्ड वेलेजली की सहायक संधि PDF
सहायक संधि का पृष्ठभूमि एवं परिचय
- सहायक संधि प्रणाली का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी गवर्नर डुप्ले ने किया था उसने सैनिक के सहायता देने के बदले भारत या नरेशों से धन लेने की प्रथा शुरू की।
- इस अवधारणा को रॉबर्ट क्लाइव ने अवध के संदर्भ में लागू किया।
- सहायक संधि को व्यवहारिक व सैद्धांतिक रूप से 1798 ईस्वी में बंगाल का गवर्नर जनरल बनकर आए अंग्रेजी समाजवादी गवर्नरलार्ड वेलेजली
- विलेजली का कार्यकाल 1798 से लेकर 1805 ई तक
- लॉर्ड विलेज ली का उद्देश्य कंपनी को भारत की सर्वोच्च शक्ति के रूप में प्रतिष्ठ करना।
- नेपोलियन का उदय और भारत में क्षेत्रीय राज्यों के साथ फ्रांसीसी गधजोर
- अंग्रेज समर्पित राजनीतिक प्रणाली काप्रभाव
- भारत में ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं की मांग का अभाव
सहायक संधि की विशेषताएं
- देसी रियासतएक एक ब्रिटिश रेजिडेंट रखेगी जो शासन प्रबंधन में परामर्श देगा
- भारतीय रियासतों के आंतरिक शासन में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा
- वह देशी रियासतें जो संधि स्वीकार करेगी कंपनी की स्वीकृति के बिना अपने राज्य में शत्रु राज्य अन्य यूरोपीय शक्ति के लोगों को शरण व्यापार या नौकरी नहीं देगी
- देशी रियासत कंपनी की अनुमति के बिना किसी अन्य राज्य से युद्ध संधि या मैत्री नहीं कर सकेगी अर्थात वह अपने विदेशी नीति कंपनी के सपोर्ट कर देगी
- देसी रियासतों की रक्षा के लिए कंपनी वहां अंग्रेजी सी रखेगी जिसका खर्च उसे रियासत को ही उठाना पड़ेगासेवा के लिए खर्च नगद राशि या राज्य के कुछ इलाका कंपनी को सपना होगा
- ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विस्तार के लिए अपनाई गई सहायक संधि को कुछ देशी रियासतें ने स्वतंत्र स्वीकार कर लिया और कुछ राज्य ने युद्ध में पराजित होकर इस प्रणाली को स्वीकार किया
- भारत के कुछ राज्यों को और कुशासन का आरोप लगाकर वेलेजली ने कर्नाटक तंजौर और सूरत को ब्रिटिश साम्राज्य में मिल लिया
- वेलेजली के द्वारा अपनाई गई रियासतें
- हैदराबाद मैसूर तंजौर अवध मराठा बरार सिंधिया होलकर यह राज्यब्रिटिश के द्वारायुद्ध लड़कर याखुदब्रिटिश को सौंप दिया गया।
सहायक संधि का देशी रियासतों पर प्रभाव
- देसी रियासतों के शासन नाम मात्र के शासक रह गए
- देसी रियासतों के कार्यों में निरंतर हस्तक्षेप किया गया
- देसी रियासतों पर स्वतंत्रता का हनन किया गया
- देसी रियासतों की अर्थव्यवस्था के साथ खिलवाड़ किया गया
सहायक संधि से कंपनी को लाभ
- फ्रांसीसियों का प्रभाव पूर्णता समाप्त कर दिया गया
- सेवा के संगठन पर खर्च करने से मुक्ति
- कंपनी के शत्रुओं और क्षेत्रीय शक्तियों को नष्ट कर दिया गया
- देसी रियासतों मेंनिशस्त्रीकरण कर दिया गया
- देसी रियासतों के संग या वस्तु बनाने का अधिकार छीन लिया गया
- कंपनी की साम्राज्यवादी सीमा को विस्तार किया गया
- आंतरिक मामलों में हस्तपेक्षकिया गया
- देसी रियासतों में विवाद में कंपनी की अध्यक्षता की गई या मध्यस्थकिया गया
व्यापक गत सिद्धांत गोद निषेध नीति या हड़प नीति सिद्धांत
- लॉर्ड डलहौजी एक साम्राज्यवादी गवर्नर जनरल था।
- ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत में अपने विस्तार हेतु युद्ध कुशल का आप कंपनी का बकाया धनराशि तथा व्यापक का सिद्धांत को अपनाया।
- लॉर्ड डलहौजी ने ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति की आवश्यकताओं की पूर्ति व अधिकतम आर्थिक लाभ अर्जित करने हेतु इन नीतियों को अपनाया।
- लॉर्ड डलहौजी के द्वारा प्रारंभ की गई विलय नीति थी
- व्यक्तिगत सिद्धांत से तात्पर्य था कि प्रतीक वारिस ना होने की स्थिति में ब्रिटिश कंपनी में अपने अधीनस्थ तथा पराधीन देसी रियासतों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिल सकती थी हालांकि संपत्ति पर अधिकार बना रहेगा।
- लॉर्ड डलहौजी के समय से पहले जयंतिया कोझीकोड गूलर कन्नूर कोडागु और कांगड़ा की रियासतों को ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस सिद्धांत के द्वारा अधिकार में ले लिया।
- लॉर्ड डलहौजी के द्वारा गोद लेने की प्रथा को समाप्त कर भारतीय राज्यों को तीन श्रेणियां में विभाजित कर दिया।
प्रथम श्रेणी
- यह हुए राज्य थे इसके निर्माण में ब्रिटिश सरकार का प्रत्यक्ष अथवा प्रत्यक्ष योगदान थाजिसमें गोद लेने पर पूर्णत पाबंदी लगा दिया गया
द्वितीय श्रेणी
- यह वह राज्य था जो अंग्रेज सरकार के अधीनस्थ थे जिसमें गोद लेने से पहले अंग्रेज सरकार की सहमति लेना आवश्यक था
तृतीयश्रेणी
- रियासतों जो कभी ब्रिटिश शासन के अधीन नहीं रहेउसे पर गोद लेने की प्रथा में कोई हस्तक्षेप नहीं था
व्यापक गत का सिद्धांत क्रियान्वयन
डलहौजी ने व्यापक गत कासिद्धांत के द्वाराकुछ राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिल लिया गया
- सतारा 1848 ईस्वी में , जेतपुर 1849 ईस्वी में, संबलपुर 1849 ईस्वी में, बाघाट1850 ईस्वी में, उदयपुर 1852 ईस्वी में, झांसी 1852 ईस्वी में, नागपुर 1854
व्यापकगत सिद्धांत की समीक्षा
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