बच्चे कैसे सीखते है?
अधिगम एक जटिल प्रक्रिया है तथा इसमें व्यक्तिक विविधता पाई जाती है जिसका अर्थ होता है कि लोगों के सीखने के तरीके एवं सीखने के क्षेत्रों एवं सीखने की दर में अंतर पाया जा सकता है।
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आज हम इस बार में यह जानने का प्रयास करेंगे कि बच्चे किस तरह से सीखते हैं वैसे उनके सीखने की कई तरीके होते हैं फिर भी हम कुछ प्रमुख तरीके पर विचार करेंगे।
बच्चों के सीखने के प्रमुख तरीके
- अनुकरण द्वारा: – कोई बच्चे अनुकरण द्वारा भी सीखते हैं और वास्तव में अगर देखा जाए तो शुरुआत में आदतें संस्कार गिनती पहाड़े वर्णमाला आदि सभी बच्चे अनुकरण द्वारा ही सीखते हैं।
- इंद्रियों द्वारा :- हम सब स्वाद, रंग, सुगंध आदि वास्तव में इंद्रियों द्वारा ही सीखते हैं अर्थात इंद्रियों द्वारा सीखना भी सीखने का एक प्रमुख तरीका है।
- खेलों द्वारा :- खेलों को NCF-2005 में शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग माना गया है। क्योंकि एक बालक खेलों के द्वारा रणनीति निर्माण, समूह बनाना तथा निर्णय लेना जैसे प्रमुख गुण सीखते हैं। आर्थत हम खेल से भी सीखते हैं।
- अनुकरण द्वारा :- बच्चे अनुभव द्वारा भी सीखते हैं जैसे बालक उस व्यक्ति से दूर रहता है क्योंकि वह हमेशा उसे डांटता रहता है।
- करके सीखना गतिविधियों द्वारा सीखना :- कोई भी व्यक्ति कौशलों के द्वारा किताबी ज्ञान द्वारा नहीं सीख सकता है इन्हें करके या गतिविधियों द्वारा ही सीखा जा सकता है जैसे – साइकिल चलाना
- त्रुटियों द्वारा :- कोई भी बालक गिनती, पहाड़े, वर्णमाला एक ही बार में नहीं सीख लेता है हम सब से गलतियां होती है और हम सभी गलतियां करके ही सीखते हैं क्योंकि गलतियां अधिगम का हिस्सा है।
- सूझ द्वारा : किसी बच्चे द्वारा अचानक ही मौजूद विकल्पों में से सही विकल्प का चयन करके किसी समस्या का समाधान कर लेना सुच कहलाता है जैसे कि एक बालक का घर की अलमारी के ऊपर रखा -डब्बाथोड़ी देर सोचकर अचानक कुर्सी और एक स्टूल रख कर प्राप्त कर लेना।
- अभ्यास द्वारा सीखना :- हुए भी कौशल्या अधिगम तब तक स्थाई नहीं रहता है जब तक इसे अभ्यास में ना रखा जाए अधिगम अभ्यास का परिणाम होता है अतः हम अभ्यास द्वारा सीखते हैं।
पूर्व ज्ञान से जोड़कर या अनुबंध द्वारा :- इस विधि के अनुसार बालक कुछ भी नया सीखने के लिए इसे अपने पूर्व ज्ञान से जोड़ कर सकता है जैसे एक बालक द्वारा वर्ण आ सीखने के लिए पूर्व परिचित आम के चिन्ह का सहारा लेना होता है जो कि बालक का पूर्व ज्ञान है जबकि अक्षरा आ नवीन ज्ञान है।
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